सूरजमुखी की जबर्दस्त वैरायटी: एक एकड़ में 16 क्विंटल पैदावार, मात्र 95 दिनों में होगी तैयार

सूरजमुखी की जबर्दस्त वैरायटी: एक एकड़ में 16 क्विंटल पैदावार, मात्र 95 दिनों में होगी तैयार

सूरजमुखी की यह किस्म न तो गिरती है और न ही इसके फूल चटकते हैं. सूरजमुखी में यह बड़ी समस्या होती है. जब उसके फूल में बीज आते हैं और फूल भारी हो जाता है तो उसके गिरने और चटकने का खतरा बढ़ जाता है. तिलहन टेक-एसयूएनएच-2 किस्म इसके लिए प्रतिरोधी है. इसके साथ ही, पत्तियों को चाटने वाले पतंगे (लीफ हॉपर) के लिए भी यह किस्म प्रतिरोधी है. इस किस्म में डाउनी मिल्ड्यू रोग का भी असर नहीं होता है.

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सूरजमुखी की जबर्दस्त वैरायटी: एक एकड़ में 16 क्विंटल पैदावार, मात्र 95 दिनों में होगी तैयारसूरजमुखी की नई वैरायटी तिलहन टेक-एसयूएनएच-2

ICAR ने सूरजमुखी की एक नई वैरायटी जारी की है. इस खास वैरायटी का नाम तिलहन टेक-एसयूएनएच-2 है. यह सूरजमुखी की हाइब्रिड किस्म है. यह तिलहन की ऐसी वैरायटी है जो कम दिनों में अच्छी पैदावार और तेल की मात्रा देती है. आईसीएआर ने इस बीज को जारी करते हुए बताया है कि किसान इससे 15.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज ले सकते हैं. इसके पकने की जहां तक बात है तो सूरजमुखी की यह वैरायटी मात्र 89-95 दिनों में तैयार हो जाती है.  

ICAR ने जानकारी दी है कि हाइब्रिड सूरजमुखी की किस्म तिलहन टेक-एसयूएनएच-2 में तेल की मात्रा 38 परसेंट तक मिलती है. मात्रा के लिहाज से यह वैरायटी अच्छी है. सबसे खास बात ये है कि इस किस्म को अगेती और पेछेती दोनों समय में लगा सकते हैं. यानी यह किस्म देर से और समय से कुछ पहले भी बोई जा सकती है.

सूरजमुखी की नई किस्म

सूरजमुखी की यह किस्म न तो गिरती है और न ही इसके फूल चटकते हैं. सूरजमुखी में यह बड़ी समस्या होती है. जब उसके फूल में बीज आते हैं और फूल भारी हो जाता है तो उसके गिरने और चटकने का खतरा बढ़ जाता है. तिलहन टेक-एसयूएनएच-2 किस्म इसके लिए प्रतिरोधी है. इसके साथ ही, पत्तियों को चाटने वाले पतंगे (लीफ हॉपर) के लिए भी यह किस्म प्रतिरोधी है. इस किस्म में डाउनी मिल्ड्यू रोग का भी असर नहीं होता है.

आईसीएआर के मुताबिक, इस वैरायटी को उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, दक्षिणी कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना में लगाया जा सकता है. इन राज्यों के किसान सूरजमुखी की नई वैरायटी तिलहन टेक-एसयूएनएच-2 से अच्छी उपज पा सकते हैं. देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ाने के लिए इस किस्म को जारी किया गया है. इससे किसानों की कमाई तो बढ़ेगी ही, साथ ही देश भी तिलहन के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा.

सूरजमुखी की खेती

पूरी दुनिया में सूरजमुखी की लगभग 60 प्रजातियां पाई जाती हैं और इन प्रजातियों की खेती दुनिया के कई देशों में की जाती है. इन देशों में अमेरिका, डेनमार्क, स्वीडन, रूस, मिस्र, भारत और ब्रिटेन शामिल हैं. वैसे तो अमेरिका ही इसके सबसे प्रमुख उत्पादक है और सूरजमुखी वहां का देशज फूल है, मगर दुनिया के कई देशों में अब इसकी खेती होने लगी है. तेल की अधिक मात्रा मिलने से किसान इसकी खेती पूरी मेहनत से करते हैं. एक अच्छी बात ये भी है कि सूरजमुखी को साल के किसी भी महीने में उगा सकते हैं. इसके लिए किसी खास मौसम या महीने की जरूरत नहीं होती.

सूरजमुखी को सूर्यमुखी भी कहा जाता है क्योंकि सूरज की पहली किरण के समय से लेकर सूर्यास्त तक यह सूर्य की ओर झुका रहता है. इसका फूल देखने में सुंदर और आकर्षक होता है. साथ ही, यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है. इसका तेल पोषण से भरपूर होता है.

 

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