इस चीनी सीजन में उत्पादन में गिरावट का अनुमान लगाया गया है. इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) ने 2023-24 चीनी सीजन के लिए चीनी उत्पादन पर शुरुआती अनुमान जारी किया है. एसोसिएशन ने कहा है कि लगभग 337 लाख टन चीनी उत्पादन की संभावना है, जो 2022 के अनुमानित 366 टन से लगभग 8 प्रतिशत की कम है. एसोसिएशन ने कहा कि 2023-24 सीजन के लिए यह ग्रॉस शुगर प्रोडक्शन इथेनॉल की ओर मोड़ने पर विचार किए बिना घरेलू खपत के लिए पर्याप्त होगा.वहीं, महाराष्ट्र में चीनी की खेती का रकबा पिछले साल के मुकाबले 6 फीसदी कम हो गया है.
चीनी उत्पादन में गिरावट के अनुमान के बाद खपत के अनुसार चीनी आपूर्ति और कीमतों को लेकर चिंता बढ़ गई है. इस पर इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) ने कहा है कि यह चीनी उत्पादन अनुमान आशाजनक है. उसने कहा कि यह देखते हुए कि भारत की औसत घरेलू चीनी खपत लगभग 278.5 लाख टन है, जो आने वाले वर्ष में उत्पादन और खपत के बीच संतुलन का संकेत देती है. ऐसे में कंज्यूमर के लिए बाजार में चीनी की कीमत पर कुछ खास असर देखने की संभावना नहीं है.
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन ने जून 2023 के अंत में प्राप्त सेटेलाइट इमेजेस के आधार पर देश में गन्ने का कुल क्षेत्रफल 2023-24 चीनी सीजन में लगभग 57 लाख हेक्टेयर होने का अनुमान लगाया है. एसोसिएशन बैठक में गन्ना क्षेत्र की तस्वीरें, अपेक्षित उपज, चीनी रिकवरी, निकासी प्रतिशत, पिछले और वर्तमान वर्ष की बारिश का प्रभाव, जलाशयों में पानी की उपलब्धता और अन्य संबंधित पहलुओं के बारे में फील्ड रिपोर्ट पर चर्चा के बाद 2023-24 सीजन के लिए पहले पूर्वानुमान को जारी किया गया है.
महाराष्ट्र में गन्ने की कमी, सूखे जैसी स्थिति, चारे के लिए गन्ने का कटान और लंबित उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) के लिए किसानों के आंदोलन का महाराष्ट्र के 2023-24 चीनी सीजन पर भारी असर पड़ेगा. महाराष्ट्र में इस वर्ष कुल गन्ना क्षेत्र का 14.07 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पेराई के लिए उपलब्ध होगा और 88.58 लाख टन चीनी का उत्पादन होने का अनुमान है. चीनी की खेती का रकबा पिछले साल के मुकाबले 6 फीसदी कम हो गया है. पिछले साल 211 चीनी मिलों ने 105 लाख मीट्रिक टन चीनी का उत्पादन किया था. राज्य के कई हिस्सों में कम बारिश के कारण सूखे जैसी स्थिति पैदा हो गई है और चारे की मांग बढ़ रही है, जो उत्पादन को प्रभावित करेगी.
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पूर्व सांसद राजू शेट्टी के नेतृत्व में स्वाभिमानी शेतकारी संगठन ने पिछले साल के लंबित एफआरपी और इस सीजन में पेराई किए जाने वाले गन्ने के लिए बेहतर कीमतों की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया है. राज्य की लगभग 39 मिलों ने पिछले सीजन में पेराई किए गए गन्ने के लिए किसानों को 1,483 करोड़ रुपये की एफआरपी का भुगतान नहीं किया है. चीनी आयुक्त कार्यालय पहले ही इन चीनी मिलों को नोटिस भेज चुका है. इस बीच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन के लिए राज्य की 45 सहकारी मिलों को बंद करने का आदेश दिया है. इन नोटिस पर चीनी उद्योगा ने चिंता जताई है.
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