मॉनसून की बेरुखी की वजह से महाराष्ट्र का चीनी उद्योग बड़े संकट के कगार पर है. दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के दौरान राज्य में हो रही कम बारिश की वजह से गन्ना उत्पादन पर बुरा प्रभाव पड़ने की चिंता बढ़ गई है. इससे पिछले सीजन की तुलना में चीनी उत्पादन में संभावित रूप से 20-25 प्रतिशत की कमी हो सकती है. अन्य फसलों के साथ-साथ बारिश की कमी से गन्ना की खेती भी डिस्टर्ब हुई है. देश के चीनी उत्पादन का लगभग एक-तिहाई हिस्सा महाराष्ट्र का है और राज्य की मिलों ने सीजन 2022-23 में 10.5 मिलियन टन का उत्पादन किया है. मौसम विभाग के अनुसार 1 जून से 21 सितंबर के बीच मध्य महाराष्ट्र में सामान्य से 20 फीसदी और मराठवाड़ा में 24 फीसदी कम बारिश हुई है.
परभड़ी, जालना, हिंगोली, बीड, सोलापुर, सतारा, सांगली और अहमदनगर में सामान्य से कम बारिश हुई है. इनमें सूखे के हालात हैं. ऐसे में गन्ने की फसल पर बुरा प्रभाव पड़ा है. जिससे उत्पादन प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है. हालात ऐसे बन रहे हैं कि चीनी मिलों को गन्ने की कमी का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल, जुलाई और अगस्त के दौरान मॉनसूनी बारिश में कमी दर्ज की गई है. सितंबर में बेहतर बारिश की उम्मीद कम होती जा रही है. जिससे फसल प्रभावित होगी.
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वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीबी थोम्बारे ने बिजनेसलाइन को बताया कि ''चीनी उत्पादन में 15 प्रतिशत की कमी थी, लेकिन अब यह बढ़कर 20-25 प्रतिशत की कमी तक पहुंच सकती है. गन्ना पेराई सत्र शुरू करने की अनुमति देने में सरकार की देरी से चीनी उत्पादन में देरी होगी. थोंबरे ने महाराष्ट्र में खांडसारी और गुड़ बनाने वाली इकाइयों की बढ़ती संख्या का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि किसान चीनी मिलों द्वारा पेराई शुरू होने का इंतजार करने के बजाय अपने गन्ने को इन इकाइयों में स्थानांतरित करने का विकल्प चुन सकते हैं. इसके अलावा राज्य में चारे की भी कमी है, जिससे मिलों के लिए गन्ने की उपलब्धता कम हो गई है.
महाराष्ट्र में कम गन्ने की पैदावार के कारण गन्ना सीजन कम चीनी उत्पादन के साथ समाप्त हुआ. उधर, महाराष्ट्र सरकार ने किसानों को राज्य के बाहर अपना गन्ना बेचने से रोकने के लिए एक अधिसूचना जारी की है. यह कदम तब उठाया गया है जब सरकार का अनुमान है कि गन्ने की कमी के कारण महाराष्ट्र में चीनी मिलों की ऑपरेशनल क्षमता केवल 90 दिनों तक सीमित हो जाएगी. नतीजतन, सरकार ने किसानों को दूसरे राज्यों में गन्ना ले जाने पर रोक लगा दी है.
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हालांकि, स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्टी ने सरकार के फैसले के खिलाफ संभावित विरोध की चेतावनी जारी की है. शेट्टी ने कहा है कि अगर सरकार 2 अक्टूबर तक अपना फैसला वापस नहीं लेती है तो गन्ना किसान इसके विरोध में सड़कों पर उतरने को तैयार हैं. किसानों को अपना गन्ना किसी भी राज्य की किसी भी चीनी मिल को बेचने की आजादी होनी चाहिए. सरकार को किसानों पर प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए. कुछ किसानों का कहना है कि कर्नाटक की कई मिलें महाराष्ट्र की तुलना में अधिक अनुकूल कीमतें प्रदान करती हैं, जो यही कारण है कि हम हर साल अपना गन्ना कर्नाटक भेजते हैं.
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