
देश के चीनी उत्पादन में भारी गिरावट ने कीमतों के बढ़ने के संकेत दिए हैं. ताजा आंकड़ों के अनुसार 31 दिसंबर तक देश का चीनी उत्पादन 96 लाख टन दर्ज किया गया है. यह बीते साल की तुलना में 18 लाख टन कम है. उत्पादन में गिरावट की वजह प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में 18 से ज्यादा चीनी कारखानों में पेराई नहीं होना है. उत्तर प्रदेश महाराष्ट्र और गुजरात समेत सभी प्रमुख राज्यों में चीनी उत्पादन में गिरावट दर्ज की गई है. ISMA ने कहा कि पेराई सीजन सामान्य गति से आगे बढ़ रहा है, जो और तेज होना जरूरी है. ऐसे में एक्सपर्ट ने आशंका जताई है कि चीनी की कीमतों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है.
देश में चीनी और बायो एनर्जी इंडस्ट्री के शीर्ष निकाय भारतीय चीनी एवं जैव ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) ने 31 दिसंबर 2024 तक चीनी उत्पादन के आंकड़े जारी कर दिए हैं. ISMA के अनुसार वर्तमान 2024-25 सीजन में चीनी उत्पादन 95.40 लाख टन तक पहुंच गया है. जबकि, पिछले साल इसी तारीख तक 113.01 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था. इस वर्ष चालू पेराई कारखानों की संख्या 493 थी, जबकि पिछले साल इसी तिथि को 512 कारखाने चालू थे.
ISMA ने कहा कि पेराई सीजन सामान्य गति से आगे बढ़ रहा है, जो और तेज होना जरूरी है. प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में पेराई दर पिछले साल की तुलना में बेहतर बताई जा रही है. हालांकि, बारिश के चलते गन्ने की आपूर्ति में अस्थायी दिक्कतों की वजह से दिसंबर 2024 के अंतिम सप्ताह के दौरान उत्तर प्रदेश में पेराई दर में कमी आई. महाराष्ट्र में बीते साल की तुलना में 8 लाख टन कम चीनी उत्पादन हुआ है.
इस वर्ष इथेनॉल के लिए अधिक चीनी के इस्तेमाल का अनुमान जताया गया है. कहा गया है कि साल 2023-24 के दौरान 21.5 लाख टन चीनी का इस्तेमाल इथेनॉल बनाने के लिए किया गया था, लेकिन 2024-25 में 40 लाख टन चीनी का इस्तेमाल इथेनॉल के लिए किए जाने का अनुमान है. ISMA ने कहा कि जनवरी 2025 के दूसरे सप्ताह में सैटेलाइट इमेजरी मिलने के बाद विस्तार से एनालिसिस की जाएगी और जनवरी 2025 के अंत में चीनी उत्पादन के अपने दूसरे अग्रिम अनुमान आंकड़े जारी किए जाएंगे.
एक्सपर्ट ने कहा कि कुल चीनी उत्पादन में बीते साल की तुलना में भारी अंतर के लिए महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी मिलों के देरी से शुरू होने को जिम्मेदार माना जा सकता है. हालांकि, अभी कारखानों में पेराई चल रही है, जिससे उत्पादन बढ़ोत्तरी की संभावनाएं बनी हुई हैं. लेकिन, उत्पादन कम रहा तो बाजार पर इसका असर कीमतों में बढ़ोत्तरी की रूप में दिख सकता है.
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