भारत दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है. वही गन्ने की खेती बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देती है और विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यही वजह है कि भारतीय चीनी उद्योग देश में गन्ने की किस्मों को और बेहतर बनाने के लिए निवेश को बढ़ाने का निर्णय लिया है. इंडस्ट्री मानना है कि उपलब्ध उत्पादों और इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के आधार पर गन्ने की पैदावार काफी हद तक बढ़ सकती है.
इस्मा के अनुसार, वह गन्ना अनुसंधान संस्थानों के साथ मिलकर, गन्ने की ऐसी क़िस्मों को विकसित करने के लिए काम कर रहा है जो अधिक उपज दे सकती हैं. इसके अलावा, सूखा प्रतिरोधी और कीट प्रतिरोधी हैं. साथ ये किस्में ऐसी हैं जो मानसून के नियमित नहीं होने पर भी प्रभावित नहीं होती हैं.
वही दक्षिण भारत में खेती के लिए गन्ने की ऐसी किस्मों पहचान करने में काफी हद तक सफलता मिली है जो कम पानी के साथ-साथ अच्छी उपज दे सकती हैं. इसके अलावा, इस्मा गन्ने की पैदावार में सुधार और पानी की खपत को कम करने के लिए विकसित कुछ उत्पादों और तरीकों का मूल्यांकन कर रहा है.
गन्ने की अच्छी पैदावार होने से चीनी उत्पादन में और वृद्धि होगी. इसके साथ ही इथेनॉल उत्पादन में भी मदद मिलेगी. यह देश को बिना किसी समस्या के 20 प्रतिशत इथेनॉल सम्मिश्रण (blending) और इससे अधिक हासिल करने में मदद करेगा.
इस साल जून में, ISMA, सरकार, चीनी उद्योग, तेल विपणन कंपनियों (OMCs) और सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल कंपनीज (SIAM) के प्रतिनिधियों सहित एक टीम इथेनॉल सम्मिश्रण (ethanol blending) यात्रा को समझने के लिए ब्राज़ील गई थी. वही यहां पर टीम ने सीखा कि कैसे ब्राजील ने इथेनॉल कार्यक्रम को बदल दिया, "जिसने उनके पर्यावरण में उल्लेखनीय सुधार किया था".
बता दें कि ब्राजील में लगभग 90 प्रतिशत वाहन फ्यूल फ्लेक्स व्हीकल (FFV) हैं और औसत सम्मिश्रण 56 प्रतिशत है. जहां तक प्रदूषण सूचकांक का संबंध है, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत हमारे देश के कई शहर टॉप रैंकिंग वाले शहर हैं. यह स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा है और अगर सही उपाय नहीं किए गए तो हमें स्वास्थ्य सेवा में भारी खर्च उठाना पड़ेगा.
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