Sunflower Farming Tips: गर्मी में सूरजमुखी की खेती के कई फायदे हैं. जौ, आलू, सरसों की फसल लेने के बाद खेतों में सूरजमुखी की खेती करके बेहतर लाभ कमा सकते हैं, क्योंकि इसमें को कम पानी की जरूरत होती है. ऐसे में शुष्क (सूखे) क्षेत्रों में भी इसकी खेती कर बेहतर लाभ ले सकते हैं. सूरजमुखी के बीजों से निकला तेल कई उपयोग होता है, जिससे इसकी मांग बनी रहती है और सूरजमुखी के बीजों का भी कई उपयोग है, जिससे किसानों को अच्छी आय हासिल होती है.
सूरजमुखी को गर्मी की दूसरी फसलों के साथ सहफसली खेती के रूप में उगाया जा सकता है. इससे किसानों को अतिरिक्त मुनाफा होता है. सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों मौसमों में की जा सकती है. हालांकि, जायद में इसकी उपज अच्छी होती है, इसलिए ज्यादातर किसान इसी मौसम में इसकी खेती करते हैं. सूरजमुखी की खेती के साथ मधुमक्खी पालन करके किसान अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं. सूरजमुखी के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका लाभ किसान उठा सकते हैं.
मॉडर्न: यह किस्म 75-80 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. पौधे की ऊंचाई 80-100 सेमी होती है और इसका व्यास 12-15 सेमी होता है. इसकी अधिकतम उपज क्षमता 7-8 क्विंटल प्रति एकड़ है, जबकि औसत उपज 10-12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. इस किस्म में तेल की मात्रा 34-38% होती है.
सूरज: इस किस्म को पकने में 80-85 दिन लगते हैं. इसकी ऊंचाई 110-150 सेमी होती है और व्यास 12-15 सेमी तक होता है. अधिकतम उपज क्षमता 6 क्विंटल प्रति एक़ड़ है, जबकि औसत उपज 12-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. तेल की मात्रा 35-37% तक होती है.
केवीएसएच-1: यह किस्म 90-95 दिनों में पक जाती है. पौधे की ऊंचाई 150-180 सेमी होती है और व्यास 15-20 सेमी तक होता है. इसकी अधिकतम उपज क्षमता 12 क्विंटल प्रति एकड़ है इसमें तेल की मात्रा 43-45% तक होती है.
एसएच-3322: इस किस्म को पकने में 90-95 दिन लगते हैं. पौधे की ऊंचाई 135-175 सेमी होती है और व्यास 15-20 सेमी तक होता है. अधिकतम उपज क्षमता 11 क्विंटल प्रति एकड है, ज इसमें तेल की मात्रा 40-42% होती है.
एमएसएफएच-17: यह किस्म भी 90-95 दिनों में पक जाती है. इसकी ऊंचाई 140-150 सेमी और व्यास 15-20 सेमी होता है. अधिकतम उपज क्षमता 11 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, इसमें तेल की मात्रा 35-40% होती है.
वीएसएफएच-1: यह किस्म 90-95 दिनों में तैयार हो जाती है. इसकी ऊंचाई 140-150 सेमी और व्यास 15-20 सेमी तक होता है. अधिकतम उपज क्षमता 11 क्विंटल प्रति एकड है, जबकि औसत उ इसमें तेल की मात्रा 35-40% होती है.
जायद में खेत की तैयारी के लिए, खेत को पलेवा करके जुताई करनी चाहिए. मिट्टी पलटने वाले हल से एक जुताई और फिर 2-3 जुताई देशी हल से करनी चाहिए. जायद में सूरजमुखी की बुवाई का सबसे अच्छा समय फरवरी के दूसरे पखवाड़े से मार्च के अंत तक है. बुवाई पंक्तियों में हल के पीछे 4-5 सेंटीमीटर गहराई पर करनी चाहिए. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. संकुल या सामान्य प्रजातियों के लिए 5-6 किलोग्राम प्रति एकड़ और संकर प्रजातियों के लिए 2-3 किलोग्राम प्रति एकड़ बीज की जरूरत होती है.
सूरजमुखी की खेती के लिए उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करना चाहिए. आमतौर पर, नाइट्रोजन 32 किलोग्राम, फास्फोरस 24 किलोग्राम और पोटाश 16 किलोग्राम प्रति एकड़ पर्याप्त होता है. पहली सिंचाई बुवाई के 20-25 दिनों बाद करनी चाहिए. बाद में, आवश्यकतानुसार 10-15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए. फूल निकलते समय और दाना भरते समय हल्की सिंचाई की जरूरत होती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today