देश के कई हिस्सों में धान की कटाई का काम शुरू हो गया है. ऐसे में अब पराली मैनेजमेंट का मुद्दा किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाएगा. हर साल किसान इसके मैनेजमेंट की बजाय उसे जला देते हैं. जिससे न सिर्फ पर्यावरण प्रदूषित होता है बल्कि खेत की उर्वरता भी खतरे में पड़ती है. इसलिए पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने पराली मैनेजमेंट को लेकर एक एडवाइजरी जारी की है. जिसमें कहा गया है कि किसान पराली को न जलाएं. इससे पैदा होने वाले धुएं और धुंध के कारण सूरज की किरणें दूसरी फसलों तक कम पहुचती हैं, जिससे फसलों में प्रकाश संश्लेषण और वाष्पोत्सर्जन की प्रकिया प्रभावित होती है. ऐसा होने से पौधे भोजन नहीं बना पाते. जिससे फसलों की उत्पादकता और गुणवत्ता प्रभावित होती है.
ऐसे में किसानों को सलाह है कि धान के बचे हुए अवशेषों (पराली) को जमीन में मिला दें. इससे मिट्टी की उर्वकता बढ़ेगी. साथ ही यह पलवार का भी काम करेगी. जिससे मिट्टी से नमी का वाष्पोत्सर्जन कम होगा. धान के अवशेषों को सड़ाने के लिए पूसा डीकंपोजर कैप्सूल का उपयोग कर सकते हैं. एक हेक्टेयर के लिए सिर्फ 4 कैप्सूल की जरूरत होगी. इससे पराली सड़कर खाद बन जाएगी.
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मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह है कि धान की पकने वाली फसल की कटाई से दो सप्ताह पहले सिचाई बंद कर दें. फसल कटाई के बाद फसल को 2-3 दिन खेत में सुखाकर गहाई कर लें. उसके बाद दानों को अच्छी प्रकार से धूप में सुखा लें. अनाज को भंडारण में रखने से पहले भंडार घर की अच्छी तरह सफाई करें.
रबी फसलों की बुवाई से पहले किसान अपने-अपने खेतों को अच्छी प्रकार से साफ-सुथरा करें. मेड़ों, नालों, खेत के रास्तों तथा खाली खेतों को साफ-सुथरा करें, ताकि कीटों के अंडे तथा रोगों के कारक नष्ट हों. तापमान को ध्यान में रखते हुए किसान सरसों की बुवाई कर सकते हैं. मिट्टी जांच के बाद यदि गंधक की कमी हो तो 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से अंतिम जुताई पर खेत में डालें. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें.
अगर सरसों की खेती करना चाहते हैं तो अच्छी पैदावार देने वाली किस्मों का चयन करें. उन्नत किस्में- पूसा विजय, पूसा सरसों-29, पूसा सरसों-30 और पूसा सरसों-31 हैं. बीज दर– 1.5 से 2 किलोग्राम प्रति एकड़ होगी. बुवाई से पहले खेत में नमी के स्तर को जरूर देख लें, ताकि अंकुरण प्रभावित न हो. बुवाई से पहले बीजों को केप्टान @ 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें. बुवाई कतारों में करना अधिक लाभकारी रहता है. कम फैलने वाली किस्मों की बुवाई 30 सेंमी और अधिक फैलने वाली किस्मों की बुवाई 45-50 सेंमी दूरी पर बनी पंक्तियों में करें. विरलीकरण द्वारा पौधे से पौधे की दूरी 12-15 सेंमी कर लें.
इस मौसम में किसान मटर की बुवाई भी कर सकते हैं. बुवाई से पहले मिट्टी में उचित नमी का ध्यान अवश्य रखें. इसकी उन्नत किस्म-पूसा प्रगति है. बीजों को कवकनाशी केप्टान @ 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर उपचार करें. उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगाएं. गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर लें और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें. अगले दिन बुवाई करें.
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