देश में मौजूदा समय में लोगों के बीच मशरूम की मांग काफी तेजी से बढ़ती जा रही है. अलग-अलग व्यंजनों में मशरूम का इस्तेमाल किया जा रहा है. खासकर शाकाहारी लोग इसे अधिक पसंद कर रहे हैं. वहीं, मशरूम की कई वैरायटी होती है जिनमें से एक है पुआल मशरूम. इस मशरूम को कम जगह में और पुआल पर उगा सकते हैं. इस मशरूम की खास बात ये है कि इसे उगाने की लागत बहुत ही कम होती है. एक तरह से एक किलो पुआल मशरूम उगाने में 20 से 25 रुपये का खर्च आता है, जबकि बेचने पर प्रति किलो 100 रुपये तक की आमदनी होती है. इस तरह एक किलो पुआल मशरूम से पांच गुना तक मुनाफा कमाया जा सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे होती है इस किस्म की खेती.
पुआल मशरूम की खेती करने के लिए धान के पुआल को आधा किलो से लेकर एक किलो के बंडलों में बांधा जाता है. इन बंडलों को पानी में भिगोकर उपचारित किया जाता है. इसके बाद जमीन पर बांस के टुकड़ों से बने फ्रेम पर या छेद वाले रैक पर इस मशरूम का बेड बनाते हैं. इस प्रकार से बनाए गए हर बेड के लिए 250 ग्राम स्पॉन (मशरूम के बीज) और 200 ग्राम बेसन की जरूरत होती है. इस एक बेड से तीन से चार किलो तक मशरूम मिलता है.
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मशरूम को उगाने के लिए एक ठंडी, अंधेरी और हवादार जगह का चुनाव करना चाहिए. मशरूम सूरज की सीधी रोशनी में नहीं उग पाते हैं. इसके लिए आप एक ऐसे कमरे का इस्तेमाल कर सकते हैं, जहां तापमान 20-25 डिग्री सेल्सियस के बीच हो और नमी लगभग 80-90 फीसदी हो. वहीं, इसमें डालने के लिए खाद के तौर पर धान की पराली या सरसों के भूसे का भी प्रयोग किया जा सकता है. इसके अलावा मुर्गी की बीट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
एक किलो पुआल मशरूम उगाने में किसान का 20 से 25 रुपये खर्च आता है. इस तरह एक बेड पर 5 किलो मशरूम उगाने में लगभग 100 रुपये का खर्च आता है. वही, पांच किलो पुआल मशरूम को बेचने पर प्रति किलो 100 रुपये की आमदनी होती है. इस तरह कोई किसान एक बेड पर 100 रुपये की लागत से 500 रुपये का मशरूम उगा सकता है. इसमें से 100 रुपये खर्च छांट दें तो हर एक बेड से 400 रुपये का मुनाफा होगा.
पुआल मशरूम के अलावा ये जान लेते हैं कि कितने तरह के मशरूम होते हैं और उनकी बुवाई कब होती है. बटन मशरूम की बुवाई अक्टूबर से फरवरी तक होती है. ग्रीष्मकालीन बटन की खेती सितंबर से नवंबर और फरवरी से अप्रैल तक होती है. काबुल ढींगरी मशरूम की खेती नवंबर से फरवरी तक होती है. ढींगरी मशरूम की खेती सितंबर से मार्च तक होती है. दूधिया मशरूम की खेती मार्च से सितंबर के बीच करना उपयुक्त होता है. इसी तरह पुआल मशरूम की खेती के लिए जुलाई से अक्टूबर का महीना उपयुक्त है.
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