ओडिशा के संबलपुर जिले में किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसानों का कहना है कि रबी धान के खेतों में तना छेदक कीटों के हमले तेज हए गए हैं. इससे फसल प्रभावित हो रही है. खास कर हीराकुंड कमांड क्षेत्र में तना छेदक कीटों का आतंक सबसे ज्याद देखने को मिल रहा है. ऐसे में किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है. उनका कहना है कि अगर समय रहते कीटों की समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो पूरी फसल नष्ट हो जाएगी.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तना छेदक कीटों का प्रकोप कोई नई बात नहीं है. लेकिन इस साल संक्रमण में अचानक वृद्धि हो गई है. ऐसे में इसके प्रभाव को कम करने के लिए तत्काल कार्रवाई की जा रही है. हालांकि, नुकसान की सीमा का अभी तक पता नहीं चल पाया है. हीराकुंड कमांड क्षेत्र के कई किसानों ने दावा किया है कि, तना छेदक कीटों के हमले के कारण, धान के पौधों की जड़ें और तने पीले हो रहे हैं. इस प्रकोप के पीछे तापमान में अचानक बदलाव को कारण माना जा रहा है.
किसानों ने यह भी दावा किया कि भले ही उन्होंने शुरुआती चरण में कीटनाशकों का उपयोग किया था, लेकिन फसलों पर कोई प्रभाव नहीं देखा गया, जिससे नकली कीटनाशकों की आपूर्ति पर संदेह पैदा हो गया है. किसानों को अब इस कीट से बड़े पैमाने पर फसल बर्बाद होने का डर सता रहा है. संबलपुर कृषक संगठन द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, 2010 तक, कृषि विभाग ट्राइको कार्ड और फेरोमोन जाल प्रदान करता था, जो स्टेम बोरर और इसी तरह के कीटों के प्रसार को रोकने के लिए एक पारंपरिक तरीका है. हालांकि ये तरीके प्रभावी थे, लेकिन अब इन्हें 2010 से बंद कर दिया गया है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जमीनी स्तर के कर्मचारियों को प्रभावित क्षेत्र में स्टेम बोरर के प्रभाव के प्रसार पर एक फील्ड सर्वेक्षण करने और 2-3 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है. सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा, तना छेदक कीट को फैलने से रोकने के लिए किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर कीटनाशक भी उपलब्ध कराए जाएंगे.
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