कर्नाटक में ज्वार की कीमत में बहुत अधिक गिरावट आ गई है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. किसानों का कहना है कि अगर इसी तरह की रेट में गिरावट जा रही, तो वे मुनाफा तो दूर लागत भी नहीं निकाल पाएंगे. खास बात यह है कि गडग जिले की मंडियों में पिछले 10 दिनों के अंदर ज्वार के भाव में कुछ ज्यादा ही गिरावट दर्ज की गई है. हालांकि, इस जिले के किसान पहले से ही लाल मिर्च की कीमतों में गिरावट की मार झेल रहे थे. अब ज्वार के गिरते रेट ने उनके सिर दर्द को ओर बढ़ा दिया है. ऐसे में सूखे की स्थिति के बीच किसान लगातार नुकसान झेलने को मजबूर हैं.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जहां पिछले महीने ज्वार की कीमत लगभग 7,000-8,000 रुपये प्रति क्विंटल थी, वहीं मौजूदा कीमत गिरकर 2,500-3,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. कहा जा रहा है कि कीमतों को झटका इसलिए लगा है, क्योंकि इस साल कम बारिश के कारण फसल की क्वालिटी खराब होने के बावजूद किसान बाजार में अधिक ज्वार ला रहे हैं. खास बात यह है कि उत्तर और कल्याण कर्नाटक क्षेत्र में किसान बड़े स्तर पर ज्वार की खेती करते हैं.
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इस बार कई किसानों ने ज्वार की खेती इस उम्मीद से की थी कि इससे उन्हें अच्छी कीमत मिलेगी. हालांकि, उत्तरी कर्नाटक में जिन लोगों ने सफेद ज्वार के बीज और मिर्च की फसल बोई थी, वे अब वित्तीय संकट में फंस गए हैं. जबकि कुछ किसान बेंगलुरु के बाजार में 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से अपनी उपज बेचने गए, लेकिन परिवहन लागत ने उनके किसी भी संभावित लाभ की भरपाई पर पानी भेर दिया. इस बीच, कुछ किसानों ने भविष्य में बेहतर कीमतों की उम्मीद में अपना ज्वार गोदाम में जमा कर लिया है.
गडग के एक किसान प्रकाश नीरलगी ने कहा कि जब हम ज्वार की बोरियां बेचने के लिए बाजार गए, तो हमें 2,200 रुपये प्रति क्विंटल की पेशकश की गई. बल्लारी, बेंगलुरु और कोप्पल बाजारों में मूल्य सीमा समान है. आर्थिक रूप से सक्षम किसानों ने अपनी ज्वार का भण्डारण कर लिया है. लेकिन, छोटे किसान भारी नुकसान झेलते हुए बेचने को मजबूर हैं.
कर्नाटक में सूखे ने कई किसानों को प्रभावित किया है. गडग के किसानों को खरीफ और रबी दोनों फसलों में नुकसान हुआ है. गडग के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि किसान बेहतर क्वालिटी वाली बीज लेना चाहते हैं, तो अपने निकटतम कृषि विभाग में जा सकते हैं. बाजार में इनकी बेहतर कीमतें भी मिलती हैं.
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