
जम्मू कश्मीर स्थित शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी ऑफ (SKUAST) एक एग्री रिसर्च में एक नया मुकाम हासिल किया है. इंस्टीट्यूट ने 1, 2 नहीं बल्कि पूरी 16 नई जलवायु-अनुकूल, ज्यादा पैदावार वाली और पोषक तत्वों से भरपूर फसलों की किस्में जारी की हैं. इन्हें विकसित करने वाले वैज्ञानिकों की मानें तो ये किस्में जम्मू और कश्मीर में फूड सिक्योरिटी और जलवायु अनुकूलन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं.
इन किस्मों को जम्मू में सिविल सचिवालय में एडीशनल चीफ सेक्रेटरी , कृषि उत्पादन विभाग, शैलेंद्र कुमार की अध्यक्षता में हुई राज्य बीज उप समिति की 10वीं बैठक के दौरान मंजूरी दी गई है. जो किस्में जारी की गई हैं उनमें छह मक्का की, दो अंबरी सेब के चयन, चार दालों की किस्मों के अलावा चावल, गेहूं, जई और तिलहन की एक-एक किस्म शामिल है. मुख्य किस्मों में से एक है शालीमार राइस-10, जो पारंपरिक मुश्कबुदजी चावल का जल्दी पकने वाला और ब्लास्ट प्रतिरोधी संस्करण है, जिसे मार्कर-असिस्टेड सिलेक्शन के जरिए विकसित किया गया है.
यूनिवर्सिटी ने शालीमार व्हीट-4 भी पेश किया, जो गेहूं की एक बहुत जल्दी पकने वाली किस्म है जिसका मकसद छोटे बढ़ते मौसम में उत्पादकता में सुधार करना है. बागवानी क्षेत्र में, दो हाई डेंसिटी वाली अंबरी सेब की किस्में, शालीमार अंबरी-01 और शालीमार अंबरी02, जारी की गईं. इन किस्मों को जो बेहतर सुगंध, शेल्फ लाइफ और आधुनिक बाग प्रणालियों के लिए उपयुक्तता के लिए जानी जाती हैं.
मक्का पोर्टफोलियो में सबसे बड़ा विस्तार हुआ है. इसमें छह नई किस्में जारी की गईं. इन किस्मों पोषक तत्वों से भरपूर पूसा शालीमार QPMH-1, क्षेत्र की पहली कैरोटीनॉयड से भरपूर शालीमार मेज कम्पोजिट-10, जल-जमाव के लिए सहनशील शालीमार मेज हाइब्रिड-7, एक ज्यादा ऊंचाई वाली विशिष्ट हाइब्रिड, एक बेबी कॉर्न हाइब्रिड और एक उच्च उपज वाली सामान्य हाइब्रिड शामिल हैं. दिलचस्प बात है कि पिछले कुछ सालों से घाटी के किसान मौसम में उतार-चढ़ाव से काफी परेशान हैं. लेकिन अब उम्मीद है कि उन्हें कुछ राहत मिल सकेगी.
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