रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है. इसके कारण यूक्रेन को कृषि क्षेत्र में काफी नुकसान उठाना पड़ा है. दोनों देशों के बीच छिड़ी जंग में यूक्रेन कि कमर टूटती जा रही है. यूक्रेन के वित्त मंत्री ने कहा है कि युद्ध की वजह से उनके देश के कृषि क्षेत्र को अब तक तकरीबन 6.6 बिलियन डॉलर का घाटा हो चुका है.वहीं अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी सिन्हुआ अपनी रिपोर्ट में कहा है कि युद्ध की वजह से यूक्रेन के कृषि उद्योग को होने वाले नुकसान का अनुमान 34.25 बिलियन रहा है.
वहीं यूक्रेन सरकार ने कहा कि युद्ध की वजह से देश के कृषि निर्यात सालाना आधार पर 16.7 प्रतिशत गिरकर 50.9 मिलियन टन रह गया है. जनवरी-नवंबर में यूक्रेन ने विदेशों में कृषि उत्पादों की बिक्री से 21.1 अरब डॉलर की कमाई की है. जो पिछले एक साल की तुलना में 13.7 प्रतिशत कम है.
दरअसल रूस और यूक्रेन दुनिया के कृषि क्षेत्र में बड़ी भूमिका अदा करते हैं. जिसमें वह सबसे अधिक गेहूं और सरसों का बड़ा सप्लायर है. लेकिन दोनों देशों के बीच चल रही लड़ाई की वजह से यूक्रेन के इन चिजों का सप्लाई बाधित हो गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि लड़ाई के वजह से यूक्रेन के अनाज के उत्पादन पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. अगर दोनों देशों के लड़ाई की वजह से सप्लाई बाधित हुई तो यूक्रेन के नुकसान के साथ ही दूसरे देशों को भी गेहूं दोगुने दाम पर खरीदनी पड़ेगी
यूक्रेन का ब्लैक सी के रास्ते निर्यात बंद होने से यूक्रेन को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ब्लैक सी वही समुद्री रास्ता है जहां से यूक्रेन अपने उत्पाद का सप्लाई करता था. पर रूस द्वारा किए गए हमले से बचने के लिए यूक्रेन ने अभी गेहूं और सरसों के सप्लाई को रोक दिया है. इस रास्ते के लिए दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था. काला सागर में रूस के कब्जे के बाद यूक्रेन की आर्थिक कमर टूट रही है और उसके अनाजों का निर्यात रूकने से उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा रही है. जो कि यूक्रेन और वहां के किसानों के लिए काफी घाटे का सौदा साबित हो रहा है. किसान के साथ-साथ वहां कि सरकार भी परेशान है.
रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से दुनियाभर में खाद्य संकट गहराया हुआ है. असल में यूक्रेन दुनिया का प्रमुख गेहूं उत्पादक देश है, जो दुनिया के कई देशों को गेहूं की आपूर्ति करता है. यूक्रेन से सप्लाई बाधित होने की वजह से इस साल मार्च में गेहूं के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नई ऊंचाईयों पर थे. जिसका असर अभी तक भारत समेत दुनियाभर में दिखाई दे रहा है.
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