विपरीत मौसम के चलते रबर के उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है. पैदावार में गिरावट के चलते घरेलू बाजार में कीमतों में भारी उछाल दर्ज किया गया है. घरेलू खपत के मुकाबले कम उत्पादन के चलते आयात करना पड़ा है. इसके बाद भी कीमतों में उछाल को नहीं रोका जा सका है. वहीं, आने वाले समय में भी कीमतें ऊपर रहने की संभावना जताई गई है. रबर बोर्ड ने किसानों से घरेलू बाजार में प्राकृतिक रबर की उपलब्धता बढ़ाने के लिए पेड़ों से अधिक से अधिक रबर निकालने की अपील की है.
रिपोर्ट के अनुसार रबर बोर्ड के कार्यकारी निदेशक एम वसंतगेसन ने कहा कि भारी बारिश के चलते पारंपरिक क्षेत्रों में रबर की कटाई के दिनों में भारी कमी आई है. कई रबर उत्पादक समय पर पेड़ों की सुरक्षा नहीं कर पाए. 2023-24 सीजन के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि रबर उत्पादन 8,57,000 टन रहा, जबकि खपत मांग 14,16,000 टन रही. आयात 4,92,682 टन और निर्यात 4,199 टन रहा. उन्होंने कहा कि इससे संकेत मिलता है कि आने वाले वर्षों में प्राकृतिक रबर की मांग बढ़ेगी.
रबर बोर्ड के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि बोर्ड ने देश में घरेलू खपत के लिए जरूरी रबर उत्पादन टारगेट को पाने में मदद के लिए योजनाएं लागू की हैं. ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री ने सकारात्मक इजाफा दर्ज किया गया है और इसने टायर मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में प्राकृतिक रबर की मांग बढ़ाने का समर्थन किया है. मुख्य उपभोक्ता आमतौर पर घरेलू बाजार में कच्चे माल की कमी की भरपाई के लिए बरसात के मौसम में जरूरी मात्रा में आयात करते हैं. लेकिन इस मौसम में कंटेनरों की कमी के कारण अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
रबर बोर्ड ने किसानों से घरेलू बाजार में प्राकृतिक रबर की उपलब्धता को अधिकतम करने के लिए अपने पेड़ों से अधिक से अधिक रबर निकालने की अपील की है. किसान और रबर उत्पादक समितियां कटाई को बढ़ावा देने के लिए सहयोग कर सकती हैं ताकि रबर को बाजार में लाकर बेहतर कीमतों का लाभ उठाया जा सके. रबर बोर्ड के कार्यकारी निदेशक ने कहा कि रबर की लगातार आपूर्ति से किसानों और कंज्यूमर दोनों को लाभ होगा. उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट टैपिंग में लगी रबर बोर्ड कंपनियां भी प्राकृतिक रबर उत्पादन को बढ़ाने में योगदान दे सकती हैं.
केंद्र सरकार ने नेचुरल रबर सेक्टर के विकास के लिए 2023-24 से 2025-26 के लिए 999.86 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है. इसमें से 2023-24 के लिए 291.17 करोड़ रुपये दिए गए हैं. वहीं, 2024-25 के लिए 348.38 करोड़ रुपये और 2025-26 के लिए 360.31 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. बता दें कि रबर का सर्वाधिक उत्पादन केरल में होता है.
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