भारत में हरे बंदगोभी के बाद लाल बंदगोभी जिसे पत्ता गोभी के नाम से भी जाना जाता है उसकी मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है. ऐसा इसलिए हो पाया है क्योंकि समय के साथ लोगों के खान-पान की आदतें बदल गई हैं. इस वजह से बाजार में नई-नई तरह की सब्जियों की मांग बढ़ती जा रही है. स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग अब अपने आहार में पोषण से भरपूर फल और सब्जियों को शामिल करने लगे हैं. जिस वजह से इन सब्जियों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. वहीं यह किसानों के लिए एक अवसर बनकर आया है. किसान बाजार की मांग के अनुरूप खेती कर मुनाफा कमा रहे हैं.
लाल बंदगोभी भी इसी श्रेणी की सब्जी है, जिसकी मांग हाल के दिनों में काफी बढ़ी है. इसकी खेती का तरीका हरी गोभी जैसा ही है, लेकिन कीमत के मामले में कई गुना अंतर होता है. आइए जानते हैं लाल बंदगोभी की खेती कैसे आपको बंपर कमाई दिला सकती है.
लाल रंग की बन्दगोभी न केवल रंग में बल्कि पोषक तत्वों में भी हरी बंदगोभी से अलग होती है. इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, कैल्शियम और आयरन होता है. इसमें थायमिन, फोलेट, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और पोटेशियम के अलावा विटामिन सी, ए, ई तथा फाइबर पाए जाते हैं.
बन्दगोभी का आकार और वजन किस्म और पौध रोपण पर निर्भर करता है. बड़े आकार की गांठें बनाने के लिए फसलों के बीच अधिक दूरी रखने की आवश्यकता पड़ती है.
फसल को उस समय काटा जाता है, जब गांठें सख्त हों और रंग व सुगन्ध विकसित होना शुरु हो जाए. इसे तैयार होने पर बाहर वाली पत्तियों के साथ बेचने के लिए काटकर ले जायें. लाल बन्दगोभी की बुआई से फसल काटने तक 12-15 सप्ताह लग जाते हैं. एक पौधे से लगभग 500-1000 ग्राम उपज होती है.
ये भी पढ़ें: Cotton Price: कपास की खेती करने वाले किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी, जानिए कितना मिल रहा है दाम
लाल बंदगोभी लगाने के बाद हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है ताकि मिट्टी में नमी बरकरार रहे. पूर्ण विकसित होने पर ही इसकी कटाई करना बेहतर माना जाता है. अगर उर्वरक की बात करें तो किसान जुताई के बाद प्रति हेक्टेयर 10 से 12 टन सड़ा हुआ गोबर खेत में डाल सकते हैं. इसके बाद 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर देना बेहतर होता है.
लाल बंदगोभी में कई तरह के पोषक तत्व और विटामिन पाए जाते हैं. इसमें मुख्य रूप से फाइटोकेमिकल्स, एंटीऑक्सीडेंट, पोषक तत्व और विटामिन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं. जरूरी पोषक तत्वों में थायमिन, राइबोफ्लेविन, कैल्शियम, मैंगनीज, मैग्नीशियम, लोहा, पोटेशियम, विटामिन सी, विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन के, आहार फाइबर और बी विटामिन शामिल हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today