
पंजाब से धान खरीद का टारगेट पूरा नहीं हो सकता है. केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के जरिए पंजाब से 185 लाख टन धान खरीद का टारगेट था. इसमें से 13 लाख टन कम खरीद की जा सकी है. वहीं, 8.09 लाख किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें से 55 हजार किसानों ने धान की बिक्री नहीं की है. केंद्रीय खाद्यान्न खरीद पोर्टल के आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है.
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने धान खरीद के आंकड़े जारी किए हैं. खरीफ मार्केटिंग सीजन 2024-25 के दौरान पंजाब में किसानों से लगभग 172 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई. जबकि, धान खरीद टारगेट 185 लाख टन था. इस हिसाब से खरीद एजेंसियां 13 लाख मीट्रिक टन धान की कम खरीद कर सकीं. बता दें कि पंजाब में धान खरीद की अवधि 1 अक्टूबर से 30 नवंबर तक थी.
केंद्रीय खाद्यान्न खरीद पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार पंजाब से 8.09 लाख किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था. जबकि, एमएसपी का फायदा 7.48 लाख किसानों को मिला है. इस हिसाब से करीब 55 हजार से अधिक किसानों ने धान को सरकारी खरीद केंद्रों पर नहीं बेचा, उन्होंने या तो धान को खुद स्टॉक करके रख लिया है या निजी प्लेयर्स को बेच दिया है. बता दें कि धान खरीद के लिए एमएसपी सामान्य ग्रेड के लिए 2300 रुपये प्रति क्विंटल और ग्रेड-ए के लिए 2320 रुपये प्रति क्विंटल दिया गया है.
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री निमूबेन जयंतीभाई बांभनिया ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा कि एफसीआई ने मिलर्स से चावल स्वीकार करना शुरू कर दिया है और एफसीआई ने 94,000 मीट्रिक टन चावल पहले ही स्वीकार कर लिया गया है. स्टॉक की क्वालिटी पक्का करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. पंजाब में अन्य राज्यों से चावल की तस्करी के बारे में कोई घटना सामने नहीं आई है. क्वालिटी के आधार पर चावल को अनुचित तरीके से अस्वीकार करने के बारे में कोई मामला सामने नहीं आया है.
हरियाणा के किसानों से परमल धान उपज खरीद का टारगेट 60 लाख मीट्रिक टन तय था, खरीद एजेंसियां टारगेट से 6 लाख टन उपज ही खरीद सकी हैं. 15 नवंबर को हरियाणा में खरीद अवधि खत्म हो गई थी. सभी खरीद एजेंसियों ने राज्य की सभी अनाज मंडियों में 60 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले 53.96 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस साल की खरीद पिछले सीजन में हासिल की गई 59 लाख मीट्रिक टन से भी काफी पीछे है.
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