चावल के नमूने खारिज होने के बाद पंजाब के मिल मालिकों में डर, नमी वाले धान को उठाने से किया इनकार

चावल के नमूने खारिज होने के बाद पंजाब के मिल मालिकों में डर, नमी वाले धान को उठाने से किया इनकार

कर्नाटक के हुबली और अरुणाचल प्रदेश के बांदरदेवा में चावल के नमूने फेल होने के बाद मिल मालिकों से चावल के सैंपल बदलने को कहा गया है. इसके बाद मिल मालिकों ने कहा है कि वे राज्य सरकार के दबाव में नहीं आएंगे और नए धान की उपज उठाएंगे जिसमें नमी की मात्रा कम हो.

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चावल के नमूने खारिज होने के बाद पंजाब के मिल मालिकों में डर, नमी वाले धान को उठाने से किया इनकारधान की खरीद

पंजाब में धान खरीद पर फिर से खतरा मंडराने लगा है. दरअसल, पंजाब से कई राज्यों को भेजे गए चावल के नमूनों को खारिज किए जाने से चावल मिल मालिकों में इस साल धान की मिलिंग को लेकर भय का माहौल पैदा हो गया है. इससे एक बार फिर खरीद प्रभावित हो रही है. निर्धारित सीमा से अधिक नमी होने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा मंडियों से धान उठाने के लिए मजबूर किए जाने पर मिल मालिकों ने कहा है कि वे नमी वाला धान नहीं खरीदेंगे.

कर्नाटक के हुबली और अरुणाचल प्रदेश के बांदरदेवा में चावल के नमूने फेल होने के बाद मिल मालिकों से चावल के सैंपल बदलने को कहा गया है. इसके बाद मिल मालिकों ने कहा कि वे राज्य सरकार के दबाव में नहीं आएंगे और नए धान की उपज उठाएंगे. वो ऐसे धान होंगे जिनकी क्वालिटी और नमी की मात्रा 17 प्रतिशत से कम है.

मिलर्स नहीं खरीदेंगे नमी वाले धान

‘दि ट्रिब्यून’ के मुताबिक, पंजाब राइस इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष भारत भूषण बिंटा ने कहा कि जो धान क्वालिटी वाले मानदंडों पर खरा नहीं उतरेगा, उसे मिलर्स नहीं लेंगे. उन्होंने कहा कि इस साल नमी की मात्रा अधिक होने के कारण करीब 30-35 लाख मीट्रिक टन धान बिना बिके रह जाएगा. आज तक खरीदे गए 119.70 लाख मीट्रिक टन धान में से केवल 60 प्रतिशत (71.90 लाख मीट्रिक टन) का ही उठाव हुआ है. इसके अलावा आज के दिन यानी गुरुवार तक 4.98 लाख मीट्रिक टन धान नहीं बिका है.

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मिल मालिकों का प्रशासन पर आरोप

मिल मालिकों ने राज्य सरकार पर पुलिस बल का इस्तेमाल करने और धान न उठाने पर उनके खिलाफ पुराने मामले फिर से खोलने की धमकी देने का भी आरोप लगाया है. यहां तक कि फरीदकोट जिले में मिल मालिकों को धान लेने के लिए मजबूर करने वाला पुलिस बुलाने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

ममदोट और मक्खू में मिल मालिकों ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने उन्हें अधिक नमी वाले धान की खरीद करने के लिए मजबूर किया. फिरोजपुर के चावल मिल मालिक रंजीत सिंह जोसन ने कहा कि आयोग एजेंटों और किसानों द्वारा मिल मालिकों पर कम क्वालिटी वाला धान थोपा जा रहा है, जिसमें पुलिस प्रशासन का बड़ा रोल है. उन धानों में  20 से 22 प्रतिशत की नमी है. अगर हम ऐसा धान लेते हैं, तो इससे निकलने वाला चावल अच्छा नहीं होगा. फिर हमें खुले बाजार से चावल खरीदना होगा और उसे एफसीआई को देना होगा.

मिल मालिकों को किया जा रहा मजबूर

पंजाब राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तरसेम सैनी ने कहा कि हमारे खिलाफ गहरी साजिश चल रही है. पिछले साल फोर्टिफाइड राइस कर्नेल के सभी सैंपल पहले ही खारिज कर दिए गए थे. इस साल, केंद्र ने पिछले महीने तक पिछले खरीद सीजन के लिए तैयार चावल को मंजूर नहीं किया है क्योंकि उनके गोदाम भरे हुए थे. चूंकि इस धान की मिलिंग गर्मियों के अंत तक चली, इसलिए धान की नमी खत्म होती रही. हमें उन्हें हर क्विंटल धान के लिए 67 प्रतिशत चावल देने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे हमें भारी नुकसान उठाना पड़ा.

सैनी ने कहा अब हमें दूसरे राज्यों में खराब पाए गए चावल को बदलने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जो दो साल पहले कुटा हुआ धान था. एक बार जब पंजाब से चावल भेजा गया तो क्वालिटी जांच के बाद इसकी पूरी जिम्मेदारी उसे लेने वाले राज्य या अनाज की ढुलाई करने वाली एजेंसी की थी. हम पंजाब सरकार से अनुरोध करते हैं कि वे अपने अधिकारियों की एक टीम को एफसीआई के अधिकारियों के साथ उन राज्यों में भेजें जहां चावल क्वालिटी सीमा से नीचे पाया गया है. इससे सच्चाई सामने आएगी.

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