महाराष्ट्र में किसान पहले से ही प्याज और सोयाबीन की गिरती कीमतों से परेशान हैं. अब अब राज्य की कई मंडियों में केले दाम में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है. इससे केले की खेती करने वाले किसानों की परेशानी काफी बढ़ गई है. जहां साल भर पहले उन्हें 2500 से 3000 रुपये क्विंटल दाम मिल रहा था वहीं अब यह कम होकर मात्र 450 से लेकर 800 रुपये क्विंटल तक रह गया है. महाराष्ट्र अंगूर, अनार और संतरे के अलावा केले का भी प्रमुख उत्पादक है. इसकी खेती पर लाखों किसान निर्भर हैं, लेकिन दाम गिरने से वो बहुत परेशान हैं. नागपुर मंडी में भुसवाली केले का अधिकतम दाम 12 मार्च को सिर्फ 550 रुपये क्विंटल रहा, जबकि आवक सिर्फ 40 क्विंटल की ही हुई थी.
महाराष्ट्र बड़ा केला उत्पादक है और यहां का भुसावल (जलगांव) इसके लिए देश भर में मशहूर है. जलगांव के केले को जीआई टैग मिला हुआ है इसलिए यहां से बड़े पैमाने पर इसका एक्सपोर्ट होता है. किसानों का कहना है कि इस समय दाम इतना कम हो गया है कि लागत निकालना मुश्किल हो गया है. किसान बता रहे हैं कि मंडी में आवक कम है फिर भी उचित भाव नहीं मिल रहा है. कम से 1500 रुपये क्विंटल दाम तो मिलना ही चाहिए.
जलगांव जिले रहने वाले किसान हर्ष बताते हैं कि इस समय जिले में केले और कपास की खेती करने वाले दोनों किसान कम भाव मिलने से निराश हैं. हर्ष का कहना है कि व्यापारी किसानों से झूठ बोल रहे हैं कि आंदोलन की वजह से माल जा नहीं रहा है. जबकि बाहर डिमांड है केले की. व्यापारी इस समय किसानों से 800 से लेकर 1000 रुपये क्विंटल तक कम दाम दे रहे हैं. जबकि इस समय रमजान का महीना है. ऐसे में बाज़ार में केले की मांग है फिर भी किसानों को व्यापरी ठग रहे हैं. केला उत्पादक संगठन के लोगों का कहना है कि वो लोग सही दाम की मांग को लेकर आंदोलन करने वाले हैं.
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जलगांव जिले के किसान भूषण पाटिल ने बताया कि हर साल मार्च के महीने में अच्छा दाम मिलता था. इस बार भी हमे उम्मीद थी कि रमजान और होली में अच्छा दाम मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. इससे किसान काफी निराश हैं. वही दूसरी ओर व्यापारियों का कहना है कि बाजार में केले की डिमांड नहीं है. इसलिए केला सस्ता है. हालांकि किसानों को अभी उम्मीद है कि अप्रैल और मई में केले की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है.
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