बदलती जलवायु का बुरा असर खेती पर देखा जा रहा है. पहाड़ी राज्यों में पारंपरिक फसलों के उत्पादन में गिरावट आने से किसान गर्मी में होने वाली फसलों पर शिफ्ट हो रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में इस बार आलू के प्रति किसानों की कम रुचि पर चिंता जताई गई है और कहा गया है कि आलू की नई किस्मों के विकास के लिए रिसर्च पर फोकस किया जाए. इसके अलावा जलवायु में हो रहे बदलाव को देखते हुए किसानों को वैकल्पिक कमाई का रास्ता देने की जरूरत है पर हिमाचल प्रदेश सरकार काम करेगी.
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने मंगलवार को कहा कि बदलती जलवायु के बीच किसानों को कमाई के वैकल्पिक सोर्स उपलब्ध कराने चाहिए. वे शिमला में केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI) के 76वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. राज्य में आलू आधारित उद्योग स्थापित करने की जरूरत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि फसलों का विविधीकरण देश की बढ़ती आबादी के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने में उपयोगी साबित हो सकता है.
एजेंसी के अनुसार बयान में कहा कि आलू भारत की प्रमुख सब्जी फसल है, जो कुल सब्जी उत्पादन में लगभग 28 फीसदी का योगदान देती है. राज्यपाल ने कहा कि भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक देश है और वैश्विक आलू उत्पादन में इसका योगदान लगभग 15 फीसदी है. उन्होंने बताया कि हिमाचल में लगभग 14,000 हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की खेती की जाती है, जिससे लगभग दो लाख टन आलू का उत्पादन होता है. उन्होंने कहा कि आलू की अच्छी और बेजोड़ क्वालिटी के चलते किसानों के लिए अच्छी कमाई का विकल्प बनता है. जबकि, राज्य में आलू की खेती बढ़ाने पर जोर देने को कहा.
राज्यपाल ने केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI) शिमला को कुफरी हिमालिनी, कुफरी गिरधारी और कुफरी करण जैसी झुलसा प्रतिरोधी आलू की किस्में विकसित करने के लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि संस्थान की ओर से किए गए शोध कार्यों और आधुनिक तकनीक को अपनाने से भारत दुनिया में आलू के प्रमुख उत्पादक के रूप में लिस्ट हुआ है. पिछले 7 दशकों के दौरान आलू के क्षेत्र और उत्पादन में तेज बढ़ोत्तरी हुई है. जबकि, नई आलू किस्मों के विकास के लिए रिसर्च पर फोकस करने की बात कही.
राज्यपाल ने कहा कि केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI) को 70 से अधिक नई किस्में विकसित करने और वायरस या बीमारी मुक्त बीज आलू के उत्पादन के लिए एरोपोनिक विधि विकसित करने पर सराहना की. संस्थान को 25 से अधिक पेटेंट मिलने पर वैज्ञानिकों को बधाई दी. हालांकि, उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में राज्य में आलू के प्रति किसानों की घटती रुचि पर चिंता व्यक्त की और वैज्ञानिकों से अनुसंधान के माध्यम से इससे जुड़ी विभिन्न समस्याओं को दूर करने को कहा.
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