देश भर के किसानों ने खरीफ फसल सीजन में अगस्त के शुरुआती समय में तुअर (अरहर) की बुवाई का रकबा एक चौथाई से अधिक बढ़ा दिया है. जिसमें प्रमुख उत्पादक राज्यों कर्नाटक और महाराष्ट्र से सबसे अधिक बढ़ोतरी हुई है. आपको बता दें कि 2 अगस्त तक तुअर की कुल बुआई 26 प्रतिशत से बढ़कर 41.89 लाख हेक्टेयर (एलएच) हो गई, जबकि पिछले साल यह 33.27 लाख हेक्टेयर थी. कर्नाटक तुअर की खेती के मामले में सबसे आगे है. इस सीजन में 15.2 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रों में तुअर की खेती की गई है. कर्नाटक में तुअर की खेती का क्षेत्रफल 69 प्रतिशत बढ़कर 15.29 लाख हेक्टेयर हो गया है जो पिछले साल तक 9.05 लाख हेक्टेयर था.
इस बार तुअर की बुवाई का रकबा बढ़ने का मुख्य कारण समय पर मॉनसून का आना और और रोपाई से पहले बाजार में तुअर की कीमतों का बढ़ना बताया जा रहा है. जिस वजह से किसान इसकी तरह आकर्षित हुए हैं.
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केंद्र ने 2024-25 खरीफ सीजन के लिए तुअर के लिए 7,550 प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया है. यह पिछले वर्ष की तुलना में 550 रुपये की वृद्धि है. कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों में तुअर का मॉडल मूल्य लगभग 10,500 है. इस वर्ष तुअर की कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं, क्योंकि पिछले वर्ष फसल अनियमित वर्षा और उकठा रोग के कारण प्रभावित हुई थी.
कलबुर्गी जिले के कलगी में नीलकंठ कालेश्वर किसान उत्पादक कंपनी के चंद्रशेखर अरासुर ने कहा कि आगामी फसल अच्छी दिख रही है. केवीके कलबुर्गी के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख राजू तेग्गेली ने कहा, "अभी तक अरहर की फसल की स्थिति अच्छी है. इसके अलावा, कलबुर्गी जिले में उड़द और मूंग जैसी अन्य दलहन फसलें भी अच्छी हैं." आईग्रेन इंडिया के राहुल चौहान ने कहा कि उच्च कीमतों पर मांग में कमी, बुवाई में वृद्धि और मोजाम्बिक से आयात की उम्मीदों के कारण अरहर की कीमतें कम होने लगी हैं.
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