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Pea Farming: ये हैं मटर की पांच अगेती किस्में, 60 दिनों में हो जाती हैं तैयार

Pea Farming: ये हैं मटर की पांच अगेती किस्में, 60 दिनों में हो जाती हैं तैयार

अगर आप भी मटर की अगेती किस्मों की खेती करना चाहते हैं तो सितंबर का महीना मटर की खेती करने के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है. इसके लिए आप सही किस्मों का चयन कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं. जानिए मटर की ऐसी ही पांच किस्मों के बारे में जिसकी खेती से किसानों को अच्छा लाभ मिलेगा.

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ये है मटर की पांच अगेती किस्में, 60 दिनों में हो जाती है तैयार ये है मटर की पांच अगेती किस्में, 60 दिनों में हो जाती है तैयार

मटर देश की शीतकालीन सब्जियों में एक है. दलहनी सब्जियों में मटर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. मटर की खेती से जहां एक ओर कम समय में अधिक पैदावार मिलती है तो वहीं ये खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में भी मददगार होती है. मटर का उपयोग सब्जी के साथ–साथ दलहन के रूप में भी किया जाता है. अगेती मटर की खेती कम समय में अच्छा मुनाफा देती है जिसके चलते इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. अगेती मटर की किस्म की बुआई के लिए सितम्बर माह के अंत से अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े तक की जाती है.

मटर की इन किस्मों की सबसे खास बात यह है कि ये 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे खेत जल्दी खाली हो जाता है और किसान दूसरी फसलों की बुआई इसके बाद कर सकते हैं. आइए जानते हैं भारत की पांच मशहूर मटर की किस्मों के बारे में जिसकी खेती बेहतर पैदावार देती है और किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं.

ये हैं वो पांच किस्म

अगर आप किसान हैं और इस सितंबर महीने में किसी फसल की खेती करना चाहते हैं, तो आप मटर की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में आर्केल, काशी नंदिनी, पूसा श्री, पंत मटर 155 और अर्ली बैजर किस्में शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

आर्केल किस्म

आर्केल एक मटर की यूरोपियन किस्म है. इसके दाने मीठे होते हैं. यह मटर की जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में से एक है. इसकी फलियों को बुवाई के करीब 60 से 65 दिन बाद तोड़ना शुरू कर सकते हैं. इसकी फलियां आठ से 10 सेमी लंबी तलवार के आकार की होती हैं और इसमें पांच से छह दाने होते हैं.

काशी नंदिनी किस्म

काशी नंदिनी मटर की एक अगेती किस्म है. अगेती किस्मों में इस किस्म का मुख्य स्थान है. बुवाई के लगभग 60-65 दिनों में इसकी फलियां तुड़ाई योग्य हो जाती हैं. इसकी एक फली में 7-9 दाने बनते हैं. इसकी सबसे बड़ी बात यह है कि पौधे में लगे सभी फलियां एक साथ तैयार हो जाती हैं जिससे बार-बार तुड़ाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इससे प्रति हेक्टेयर 110-120 क्विंटल मटर का उत्पादन किया जा सकता है.

पूसा श्री किस्म

पूसा श्री किस्म वर्ष 2013 में विकसित की गई एक अगेती किस्म है. यह किस्म उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में बुवाई के लिए उपयुक्त है. ये किस्म बुवाई के 50 से 55 दिनों बाद फसल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इसकी प्रत्येक फली से 6 से 7 दाने निकलते हैं. वहीं इससे प्रति एकड़ 20 से 21 क्विंटल हरी फलियां प्राप्त होती हैं

पंत मटर 155 किस्म

ये किस्म हाइब्रिड मटर की एक अगेती प्रजाति है. इसे पंत मटर 13 और डी डी आर- 27 के संकरण से विकसित किया गया है. इसकी बुवाई से 30 से 35 दिनों के अंदर ही इसमें फूल आने लगते हैं, जबकि इसकी हरी फलियों के रूप में पहली तुड़ाई 50 से 55 दिनों में कर सकते हैं. इस किस्म की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है, जिसके कारण इसमें चूर्ण फफूंद और फली छेदक रोग का प्रकोप कम देखने को मिलता है. ये किस्म प्रति हेक्टेयर 150 क्विंटल तक पैदावार देने में सक्षम है.

अर्ली बैजर किस्म

मटर की ये एक विदेशी किस्म है, जिसके पौधों की फलियों में बनने वाले बीज झुर्रीदार पाए जाते हैं. इस किस्म का पौधा बौना दिखाई देता है. जिसके पौधे बीज रोपाई के लगभग 50 से 60 दिन बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इस किस्म के पौधों की प्रत्येक फलियों में औसतन 5 से 6 दाने पाए जाते हैं. इस किस्म पौधों से हरी हेक्टेयर औसतन उत्पादन 10 टन के आसपास पाया जाता है.