भारतीय बासमती चावल की करीब 6 किस्मों की चोरी करके अवैध तरीके से खेती और बिक्री पाकिस्तान कर रहा है. भारतीय बासमती चावल की कई किस्मों के नाम बदलकर पाकिस्तान उगा रहा है और बीज की बिक्री भी कर रहा है. इससे भारतीय चावल निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है. इन किस्मों को पैदा करने वाले भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई IARI) के वैज्ञानिकों ने पाकिस्तानी फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के वैज्ञानिकों ने अपनी ब्लॉकबस्टर बासमती चावल की कई किस्मों की अवैध तरीके से पाकिस्तान फर्मों के जरिए खेती करने पर नाराजगी जताई है. आईएआरआई के निदेशक एके सिंह ने पाकिस्तान में बेईमान बीज फर्मों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने की मांग की है. उन्होंने मांग करते हुए कहा है कि हमारे किसानों और निर्यातकों के हितों की रक्षा की जानी चाहिए.
आईएआरआई के निदेशक के अनुसार IARI की बासमती चावल किस्मों की अवैध बीज बिक्री और खेती पाकिस्तान में पूसा बासमती-1121 (PB-1121) से शुरू हुई. IARI ने इस किस्म को 2003 में जारी किया था और इसके चावल की लंबाई औसतन 8 मिमी और पकाने पर लगभग 21.5 मिमी तक पहुंच जाती है. भारत की इस किस्म के चावल का पाकिस्तान में नाम बदलकर 'पीके 1121 एरोमैटिक' के नाम से रजिस्टर किया गया है. जबकि, इसे '1121 कायनात' बासमती नाम से बेचा जा रहा है. गूगल सर्च में '1121 कायनात' बासमती उबला चावल कराची स्थित लीला फूड्स और लाहौर और लतीफ राइस मिल्स (प्राइवेट) लिमिटेड के जरिए बिक्री करने के रिजल्ट सामने आए हैं.
भारतीय किस्म पूसा बासमती-1121 (PB-1121) को नाम बदलकर बेचे जाने का मामला अकेला नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि IARI की दूसरी चावल की किस्मों को भी पाकिस्तान उगा रहा है. इनमें 2010 और 2013 में जारी पूसा बासमती PB-6 (PB-6) और पीबी-1509 (PB-1509) किस्में शामिल हैं. यह किस्म दूसरी बासमती किस्मों के 135-145 दिनों के मुकाबले 115-120 दिनों में तैयार हो जाती है. पाकिस्तान में इस किस्मा का नाम बदलकर 'किसान बासमती' कर दिया गया है और रजिस्टर किया गया है.
कई पाकिस्तान के यूट्यूब वीडियो में नई IARI किस्मों को दिखाया गया है, जिनमें पूसा बासमती-1847 (पीबी-1847), पीबी-1885 और पीबी-1886 भी शामिल हैं. वीडियो में हफीजाबाद में अवान राइस मिल्स रिसर्च फार्म, मुल्तान में चादर एग्री फार्म और पंजाब प्रांत के बहावलनगर में नवाब फार्म में उगाया गया है, जो इन तीन किस्मों के मूल ब्रीडर IARI को बताया है.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक एके सिंह ने कहा कि हमारे द्वारा पैदा की गई सभी किस्मों को भारत के 7 उत्तरी राज्यों को कवर करते हुए बासमती चावल के आधिकारिक रूप से खेती के लिए बीज अधिनियम 1966 के तहत नोटीफाई किया गया है. उन्हें पौधों की किस्मों और किसानों के अधिकार संरक्षण अधिनियम 2001 के तहत रजिस्टर किया गया है. यह अधिनियम केवल भारतीय किसानों को संरक्षित, रजिस्टर किस्मों के बीज बोने, बचाने, दोबारा बोने, बेचने की अनुमति देता है. यहां तक कि वे ब्रांडेड पैकेज्ड और लेबल के साथ बीज बेचकर ब्रीडर के अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे में ये बासमती चावल की "संरक्षित" किस्में पाकिस्तान में कैसे उगाई जा रही हैं? उत्तर सरल है पाकिस्तानी फर्में अवैध तरीके से यह काम कर रही हैं.
भारत के सबसे बड़े ब्रांडेड बासमती चावल निर्यातक केआरबीएल लिमिटेड के बिजनेस हेड (थोक निर्यात) अक्षय गुप्ता ने के अनुसार पाकिस्तान की मिलों ने हल्का उबालने की सुविधाओं में ज्यादा निवेश नहीं किया है और ज्यादातर सफेद या उबले हुए चावल बनाते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी कंपनी पीबी-1121 का बिजनेस करने वाली और दुनिया के सबसे लंबे चावल के दाने के लिए एक विशेष 'इंडिया गेट क्लासिक' ब्रांड बनाने वाली पहली कंपनी थी. उन्होंने स्वीकार किया कि पाकिस्तान आईएआरआई किस्मों की चोरी कर रहा है जो भविष्य में बड़ा संकट खड़ा कर सकती है. वे हमारे वैज्ञानिकों की रिसर्च और कड़ी मेहनत का शोषण कर रहे हैं. हमें कम से कम दुनिया को बताना चाहिए कि ये हमारी किस्में हैं.
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