मध्य प्रदेश में सरकारी धान खरीद जारी है. लेकिन, धीमी खरीद के चलते 15 दिन बाद भी टारगेट का 3 फीसदी ही उपज किसानों से खरीदी जा सकी है. धान किसानों के लिए राज्य सरकार ने खरीद केंद्रों पर हर तरह व्यवस्थाएं करने के निर्देश भी दिए हैं. अब तक 9,554 किसानों से एमएसपी दर पर धान खरीदा जा चुका है. इन किसानों को राज्य सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान 48 घंटे के अंदर सीधे बैंक खाते में किया जा रहा है. बता दें कि मंडियों से धान का तेज उठान कराने और किसानों की उपज हाथोंहाथ लेने के लिए राज्य सरकार ने मिलिंग रेट्स में प्रोत्साहन राशि समेत 60 रुपये प्रति क्विंटल दाम बढ़ा दिया है.
मध्य प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार राज्य में किसानों से धान खरीद के लिए 1245 खरीद केंद्र बनाए गए हैं. इन केंद्रों पर 2 दिसंबर से धान की सरकारी खरीद शुरू हुई है. अब तक राज्य में 1.51 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी गई है, जो खरीद शुरू होने के 15 दिन बाद भी टारगेट का केवल 3 फीसदी ही है. जिलावार धान खरीद में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं.
मध्य प्रदेश सरकार ने खरीफ मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए धान खरीद की घोषणा अगस्त में करते हुए किसानों के रजिस्ट्रेशन शुरू करने के निर्देश दिए थे. सरकार ने इस खरीफ सीजन के लिए धान खरीद का टारगेट 45 लाख मीट्रिक टन तय किया है. न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कॉमन धान 2300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जा रहा है, जबकि ग्रेड-ए धान के लिए किसानों को 2320 रुपये प्रति की दर से भुगतान किए जा रहे हैं.
राज्य में सरकारी केंद्रों के जरिए धान खरीद की अंतिम तिथि 20 जनवरी 2025 है. किसानों के पास अपनी उपज बेचने के लिए लभगभ 33 दिन का समय बचा है. कहा जा रहा है कि इसी गति से अगर धान खरीद चलती रही तो राज्य सरकार का धान खरीद टारगेट पूरा नहीं हो पाएगा. राज्य सरकार की ओर से किसानों से अनुरोध किया है कि वह अपनी उपज निर्धारित बिक्री केंद्र या मंडियों में एमएसपी दाम पर ही बेचें.
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार अब तक 9,554 किसानों से 1,51,595 मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है. सर्वाधिक धान खरीद जिन जिलों से हुई है उनमें रीवा से 24790 मीट्रिक टन खरीद की गई है. सतना से 22016 मीट्रिक टन धान खरीदी गई है. इसके साथ ही कटनी से 19000 मीट्रिक टन, बालाघाट से 14029 और मीट्रिक टन और मंडला से 12109 मीट्रिक टन धान खरीदी गई है. बाकी जिलों धान खरीद आंकड़ा इन जिलों से कम है.
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