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Punjab: आढ़तिये-मजदूरों की हड़ताल से पहले दिन शुरू नहीं हुई धान की खरीद, जान लें क्या है मांग

Punjab: आढ़तिये-मजदूरों की हड़ताल से पहले दिन शुरू नहीं हुई धान की खरीद, जान लें क्या है मांग

आढ़तियों ने कहा कि करीब तीन साल पहले सरकार ने कमीशन दर 45.88 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर कर दी थी. इस दर के अनुसार, प्रति क्विंटल गेहूं और धान पर उनका कमीशन उपज दर का लगभग 2 प्रतिशत है. इसका मतलब यह हुआ कि उनका कमीशन, जो 1997 में 2.5 प्रतिशत तय किया गया था, अब 0.5 प्रतिशत कम हो गया है. आय में वृद्धि के बजाय, लगभग 27 वर्षों के बाद उनकी मजदूरी कम हो गई है.

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खरीफ फसलों की खरीद का प्लान तैयार. (File Photo) खरीफ फसलों की खरीद का प्लान तैयार. (File Photo)

पंजाब में 1 अक्टूबर से धान की सरकारी खरीद शुरू नहीं हो सकी क्योंकि कमीशन एजेंट्स (आढ़तिये) और मजदूर अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चले गए हैं. आढ़तिये और मजदूरों ने अपने कमीशन और दिहाड़ी को बढ़ाने की मांग की है जिस पर सरकार के साथ पेच फंसा हुआ है. हालांकि, सरकारी रिपोर्ट्स से पता चलता है कि पंजाब के ग्रामीण इलाकों में धान की खरीद शुरू हुई है. इस पेच को सुलझाने के लिए प्रदेश के खाद्य विभाग और आढ़ती-मजदूर संघ के नेताओं के साथ मीटिंग भी हुई, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया.

'दि ट्रिब्यून' की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भगतांवाली मंडी में धान की आवक बहुत ही सुस्त देखी गई और काम के अभाव में मजदूर खाली बैठे नजर आए. इस पूरे मामले पर मजदूर यूनियन के राकेश तुली ने कहा कि जब तक सरकार उनकी मांगें पूरी नहीं कर देती, हड़ताल जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान अपने आवास पर थे, लेकिन उन्होंने उनसे मुलाकात नहीं की. 

क्या है मांग

तुली ने बताया कि अनाज उतारने, उसे साफ करने, तौलने, बोरियों की सिलाई करने, बोरियों में अनाज भरने, ट्रकों और ट्रैक्टर-ट्रेलरों पर लादने जैसे छह काम करने वाले मजदूरों के लिए राज्य सरकार ने 2011 में 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी. उन्होंने कहा, "फिलहाल उन्हें 35 किलो के बैग के लिए 16.05 रुपये मिल रहे हैं, जबकि हरियाणा 1.30 रुपये प्रति बैग अधिक दे रहा है. दोनों राज्यों में खरीदार एफसीआई है. 13 साल बाद उन्हें उम्मीद है कि उनके लेबर चार्ज में कम से कम 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, लेकिन सरकार उनकी मांग पर ध्यान नहीं दे रही है." 

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पंजाब में 1,836 मंडियां हैं, जिनमें 50,000 से अधिक कमीशन एजेंट और 10 लाख मजदूर मौसमी पेशे से जुड़े हैं. 

मजदूरों की तरह कमीशन एजेंटों की भी अपनी मांगें हैं जिसे लेकर वे हड़ताल पर हैं. इन एजेंटों के प्रतिनिधियों ने भी सरकार के साथ बैठक में भाग लिया. इनके नुमाइंदों ने कहा कि करीब तीन साल पहले सरकार ने कमीशन दर 45.88 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर कर दी थी. इस दर के अनुसार, प्रति क्विंटल गेहूं और धान पर उनका कमीशन उपज दर का लगभग 2 प्रतिशत है. इसका मतलब यह हुआ कि उनका कमीशन, जो 1997 में 2.5 प्रतिशत तय किया गया था, अब 0.5 प्रतिशत कम हो गया है. आय में वृद्धि के बजाय, लगभग 27 वर्षों के बाद उनकी मजदूरी कम हो गई है.

किसान नेता डॉ. सतनाम सिंह अजनाला ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा, जम्हूरी किसान सभा और कई अन्य संगठनों ने हड़ताल को समर्थन दिया है. इस बीच, जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी एक प्रेस नोट में कहा गया है कि मंगलवार को अमृतसर जिले में धान की सरकारी खरीद शुरू हो गई. डीएफएससी सरताज सिंह ने कहा कि बाबा बकाला साहिब के एसडीएम अमनप्रीत सिंह ने सरकारी खरीद शुरू की और किसानों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को समझा. पनग्रेन ने राया और बुटाला में करीब 50 टन धान खरीदा.

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