हरियाणा के किसान राज्य सरकार पर 15 सितंबर से धान खरीदने के लिए दबाव बना रहे हैं. इस बीच सूबे के कृषि मंत्री जेपी दलाल ने इस मसले को लेकर बड़ी बात कही है. दलाल ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर धान खरीद के लिए हरियाणा सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है. सामान्य तौर पर 1 अक्टूबर से सरकारी खरीद की शुरुआत होती है. लेकिन हमने भारत सरकार से अनुमति मांगी है कि राज्य में 20 सितंबर से ही खरीद शुरू की जाए. ताकि जल्दी आवक होने की सूरत में किसानों को कोई नुकसान न हो. उन्हें कम दाम पर न बेचना पड़े. दलाल ने उम्मीद जाहिर की है कि राज्य की मंशा के अनुसार केंद्र जल्दी खरीद करने के लिए परमिशन दे देगी.
खरीद की अनुमति मिलते ही हम मंडियों में एमएसपी पर धान खरीदना शुरू कर देंगे. हरियाणा धान का प्रमुख उत्पादक है. यहां से खरीफ मार्केटिंग सीजन (KMS) 2022-23 में 59.36 लाख मीट्रिक धान की खरीद की गई है. केंद्र सरकार ने केएमएस 2023-24 के लिए सामान्य धान की एमएसपी 2183 रुपये जबकि ए ग्रेड धान की 2203 रुपये प्रति क्विंटल घोषित की हुई है. केंद्र ने बताया है कि किसानों को धान उत्पादन की लागत प्रति क्विंटल 1455 रुपये आती है. पिछले साल यानी 2022 में खरीद 1 अक्टूबर से शुरू हुई थी जो 15 नवंबर तक चली थी.
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हरियाणा में बाजरा भी प्रमुख पसल है. राज्य में 11,89,214 एकड़ क्षेत्र में इसकी बुवाई हुई है. भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने सीएम मनोहरलाल खट्टर को पत्र लिखकर खरीद 15 सितंबर से एमएसपी पर इसकी खरीद शुरू करने की मांग की थी. लेकिन, अब तक खरीद नहीं शुरू की गई है. चढूनी का कहना है कि मंडियों में बाजरे की फसल आनी शुरू हो गई है, लेकिन सरकारी खरीद अभी तक शुरू नहीं हुई है. ऐसे में किसान ओपन मार्केट में 1500 से 1600 रुपये प्रति क्विंटल पर ही बाजरा बेचने के लिए मजबूर हैं. जबकि खरीफ मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए सरकार ने बाजरा का एमएसपी 2500 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. सरकारी खरीद न शुरू होने की वजह से किसान प्रति क्विंटल एक हजार रुपये का घाटा सहकर फसल बेच रहे हैं.
उधर, कृषि मंत्री ने माना है कि अभी बाजार में बाजरे का भाव एमएसपी से नीचे है. उन्होंने कहा, "अभी सरकार स्थिति पर नज़र बनाए हुए है यदि बाजार भाव यही रहता है तो प्रदेश सरकार भावांतर भरपाई योजना के तहत किसानों को पैसा देगी या एमएसपी पर खरीद शुरू करेगी. अभी तक 10 हजार मीट्रिक टन बाजरे की खरीद हुई है. उन्होंने कहा कि किसान भाईयों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, सरकार उनके साथ है." इसका मतलब यह है कि निजी क्षेत्र एमएसपी से कम दाम पर बाजरे की खरीद कर रहा है. सरकार किसानों के घाटे की भावांतर भरपाई योजना के तहत भरपाई करेगी. हालांकि, एक कड़वा सच यह है भी है कि एक हजार रुपये प्रति क्विंटल की भरपाई मिलना मुश्किल है.
ये तो रही धान और बाजरा खरीद की बात. कृषि मंत्री ने दावा किया है कि इस बार प्रदेश में खाद की कमी नहीं होगी. सरकार के पास पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है. दलाल ने बताया कि पिछले दिनों केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया की अध्यक्षता में खाद की उपलब्धता को लेकर एक ऑनलाइन बैठक हुई थी. सीएम ने भी इस विषय पर केंद्रीय मंत्री से बात की है. केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि खाद से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या नहीं आएगी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पास डीएपी और यूरिया का पर्याप्त स्टॉक है. इसके अलावा और खाद चाहिए होगी तो केंद्र सरकार ने हमें देने का वादा किया है.
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