केरल में धान विक्रेता किसानों को समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा है. इससे किसान परेशान हो गए हैं. किसानों का आरोप है कि केरल राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (सप्लाइको) किसानों को बहुत धीरे- धीरे धान खरीद का भुगतान कर रहा है. इससे वे आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. खास कर अलाप्पुझा जिले में किसानों को अभी तक 87.07 करोड़ रुपये का ही भुगतान करने का आदेश जारी किया गया है. जबकि जिले में लगभग 95 प्रतिशत से अधिक धान की कटाई हो चुकी है. किसानों का कहना है कि सरकार जल्द से जल्द बकाया का भुगतान कर देना चाहिए, ताकि वे समय पर खाद और खेती से जुड़े अन्य जरूरी उपकरण खरीद सकें.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सप्लाईको ने अतिरिक्त सीज़न में अलाप्पुझा जिले में 100 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का 35,700.090 टन धान खरीदा है. हालांकि, इसने अभी तक खरीद मूल्य का आधा भी वितरित नहीं किया है. एजेंसी ने 10,062 किसानों के लिए 87.07 करोड़ रुपये जारी करने का आदेश दिया है. लेकिन गुरुवार तक खरीद मूल्य के रूप में 46.07 करोड़ का भुगतान करने के लिए उसने अब तक केनरा बैंक और भारतीय स्टेट बैंक को केवल 5,254 किसानों की सूची दी है.
किसानों को धान रसीद शीट (पीआरएस) ऋण योजना के तहत बैंकों से भुगतान किया जाता है, जिसके लिए सप्लाईको गारंटी देता है. इससे पहले, सरकार ने पिछले सीजन में भुगतान के वितरण में देरी के बाद घोषणा की थी कि सीजन के लिए धान खरीद मूल्य बिना किसी देरी के वितरित किया जाएगा. हालांकि यह घोषणा की गई थी कि कीमत तीन बैंकों के माध्यम से जारी की जाएगी. लेकिन सप्लाइको फेडरल बैंक के साथ एक समझौते पर पहुंचने में विफल रही.
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जिले में अतिरिक्त सीजन में किसानों ने 9122 हेक्टेयर में धान की खेती की है, जिसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा कुट्टनाड में है. सूत्रों ने बताया कि अब तक धान के बोए गए रकबे का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा काटा जा चुका है. किसानों का कहना है कि भुगतान में देरी के कारण उन्हें 'पुंचा' (पहली) फसल के मौसम में धान की खेती के लिए साहूकारों से अत्यधिक ब्याज दरों पर पैसे उधार लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
सरकार ने पहले धान का खरीद मूल्य 28.20 रुपये प्रति किलोग्राम तय किया था. इसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य और राज्य प्रोत्साहन बोनस शामिल है. इसके अलावा, किसान हैंडलिंग शुल्क के रूप में अतिरिक्त 12 पैसे प्रति किलोग्राम के भी हकदार हैं. 'पुंचा' सीज़न के लिए बुआई, जो सबसे व्यापक धान रकबा का गवाह है, कुट्टनाड और अलाप्पुझा के अन्य हिस्सों में पूरे जोरों पर है. जिले में 'पुंचा' सीजन में किसानों द्वारा 27,000 हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती करने की उम्मीद है.
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