काफी दिनों से प्याज सस्ता बिक रहा है. इसका दाम 24 से 30 रुपये किलो तक है. लेकिन, आने वाले दिनों में प्याज की कीमत बढ़ने की बारी है. क्योंकि राज्य के साथ-साथ देश में प्याज की खेती वाले क्षेत्रों में कम वर्षा के कारण फसल की पैदावार कम है. यह कर्नाटक का हाल है. चूंकि राज्य के अधिकांश तालुक गंभीर सूखे की चपेट में हैं. जिनमें चित्रदुर्ग, चिक्कबल्लापुरा, गडग, विजयपुरा और अन्य हिस्से शामिल हैं. इससे प्याज की खेती वाले क्षेत्रों को भारी नुकसान हुआ है. इसका असर बाजार में दिखाई दे सकता है.
जानकारों के अनुसार राज्य में प्याज की नई फसल की कुल पैदावार सिर्फ 40 फीसदी थी और इसका 25 फीसदी बाजार में बिक चुका है. राज्य में उगाई जाने वाली प्याज की फसल के अलावा, पूरा प्याज बाजार नासिक और महाराष्ट्र के अन्य प्याज उत्पादक क्षेत्रों पर निर्भर करता है. पिछले 15 दिनों से शिवमोगा थोक बाजार में प्रति किलो प्याज की कीमत लगभग 25 से 30 रुपये थी, जबकि खुदरा बाजार में यह 30 से 35 रुपये प्रति किलो थी. फिलहाल शिवमोगा के थोक बाजार में कीमत 32 से 35 रुपये प्रति किलो हो गई है.
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इस बीच, एक प्याज व्यापारी ने कहा कि केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी टैक्स लगा दिया है. इस उपाय से महाराष्ट्र के प्रमुख विक्रेताओं द्वारा प्याज के निर्यात पर अंकुश लगा है. केंद्र सरकार नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनसीसीएफ) के सहयोग से पिछले कुछ महीनों से महाराष्ट्र से प्याज की फसल खरीदकर इसकी कीमत को नियंत्रित कर रही है. लेकिन नवंबर से प्याज की कीमत में लगातार बढ़ोतरी देखी जा सकती है और महाराष्ट्र से आपूर्ति के आधार पर कीमत में अंतर हो सकता है.
देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक महाराष्ट्र है. यहां की स्थिति कर्नाटक से अलग है. काफी दिनों से किसानों को उनकी फसल का उचित दाम नही मिल रहा था. इससे किसानों को घाटा हो रहा था. लेकिन जब अगस्त में दाम बढ़ना शुरू हुआ तो सरकार ने एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी. और नफेड, एनसीसीएफ से सस्ता प्याज बिकवाना शुरू कर दिया. जिससे दाम गिर गया है. किसान सरकार के इस रवैये से परेशान हैं. महाराष्ट्र के एक प्याज उत्पादक किसान ने कहा कि खेती अच्छी हो या खराब, अगर दाम बढ़ने की उम्मीद होगी तो सरकार उसे कंट्रोल कर लेगी. वो दाम नहीं बढ़ने देगी, हम किसान प्रकृति से ज्यादा सरकार के रवैये से परेशान हैं, क्योंकि सरकार दाम नहीं बढ़ने दे रही है. हमारी लागत भी नहीं निकल रही.
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