प्याज एक्सपोर्ट पर बैन लगे डेढ़ महीने का समय बीत चुका है. लेकिन अब भी महाराष्ट्र के किसानों को कोई राहत नहीं मिली है. न तो केंद्र सरकार ने निर्यात बंदी खत्म करने का फैसला किया और न तो महाराष्ट्र सरकार ने ही कोई आर्थिक मदद दी. किसानों को उम्मीद थी कि 2023 की तरह ही सरकार दाम कम होने की वजह से कुछ न कुछ आर्थिक मदद जरूर देगी. राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पीयूष गोयल मिलकर यह भरोसा दिलाया था कि किसानों के हित में कोई न कोई फैसला होगा. लेकिन नहीं हुआ. अब हालात यह हैं कि एक बार फिर राज्य की मंडियों में प्याज का दाम अपने न्यूनतम स्तर पर चला गया है. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि आज 25 जनवरी को ही चार मंडियों में न्यूनतम दाम 1 रुपये किलो हो गया है.
निर्यात बंदी के बाद से ही राज्य के किसान सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि जब दाम बढ़ रहा था तब निर्यात बंद हो गया. अब दाम इतना कम हो गया है कि लागत भी नहीं निकल पा रही है. अब क्यों नहीं सरकार निर्यात खोल देती है. सरकार क्या चाहती है कि किसान एक रुपये किलो के भाव पर प्याज बेचें या फिर खेती करना बंद कर दें. महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि सरकार न जाने किस वजह से हाथ धोकर किसानों के पीछे पड़ी हुई है. वो अगस्त 2023 से ही प्याज पर कोई न कोई प्रतिबंध लगा रही है. जिससे किसानों की कमर टूट गई है.
ये भी पढ़ें: Onion Price: किसान ने 443 किलो प्याज बेचा, 565 रुपये घर से लगाने पड़े, निर्यात बंदी ने किया बेहाल
महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड से मिले आंकड़ों के अनुसार 25 जनवरी को सोलापुर मंडी में रिकॉर्ड 1,44,801 क्विंटल प्याज की आवक हुई. इसकी वजह से यहां पर न्यूनतम दाम 100 रुपये क्विंटल रह गया. इसी तरह से अहमदनगर में 94,991 क्विंटल प्याज की आवक हुई. यहां भी बंपर आवक की वजह से दाम 100 रुपये प्रति क्विंटल ही रह गया. संगमनेर मंडी में 11,689 क्विंटल प्याज बिकने के लिए आया. यहां पर भी न्यूनतम दाम 100 रुपये क्विंटल ही रह गया. इसी तरह सटाणा मंडी में भी 100 रुपये क्विंटल ही दाम था. यहां 5020 क्विंटल की आवक हुई थी.
ये भी पढ़ें: Turmeric Cultivation: हल्दी की फसल के लिए जानलेवा है थ्रिप्स कीट, किसान ऐसे करें बचाव
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today