भारत में प्याज किसानों की दुश्वारियां खत्म होने के नाम नहीं ले रही हैं. पहले अच्छे रेट नहीं मिले और अब निर्यात में आई गिरावट के चलते उन्हें बढ़े दाम का फायदा नहीं मिल रहा है. भारत से अधिक प्याज पाकिस्तान से अन्य देशों में निर्यात होने लगा है. इससे आने वाले समय में भारत के प्याज किसानों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. नासिक प्याज का गढ़ है जहां के जानकार बताते हैं कि सरकार की अस्थिर पॉलिसी की वजह से प्याज निर्यात में नंबर वन रहने वाला भारत 2023-24 के आंकड़े में छ्ठे नंबर पर तो पाकिस्तान को नंबर 1 का ताज मिला है.
नासिक में प्याज निर्यातक विकास सिंह कहते हैं कि 2023-24 में भारत सरकार द्वारा प्याज का निर्यात शुल्क 40 परसेंट रखा गया था. उस वक्त सरकार को देश में आपूर्ति करनी थी. लेकिन इसका बुरा असर प्याज निर्यातक और विदेशी ग्राहकों की संख्या पर हुआ है. किसानों के अलावा 30 लाख लोग प्याज की खेती और व्यापार से अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं. विकास सिंह कहते हैं कि लाल प्याज जल्द खराब होने वाला है. हमने कृषि मंत्रालय के साथ मीटिंग कर निवेदन किया है कि आने वाले दिनों में बंपर प्याज की आवक होगी. इसलिए तुरंत निर्यात शुल्क हटाया जाए और प्याज निर्यात पर एक स्थायी पॉलिसी बने. उसके अलावा प्याज की कीमतें स्थिर रखने के लिए सुझाव भी दिए हैं. आगे के लिए सरकार से उम्मीदें लगाए बैठे हैं.
प्याज किसान अभय और जय किसान फोरम के निवृत्ती न्याहारकर कहते हैं, जब प्याज का भाव रहता है तब किसान के पास प्याज नहीं रहता है. इसलिए मंडी में प्याज की आवक कम रहती है. तब प्याज का दाम मिलता है. लेकिन प्याज की फसल मौसम खराब होने से, बेमौसम बारिश से बरबाद होती है. इस कारण किसान उपज को मंडी में नही ले जा सकता है. लेकिन किसान को प्याज की खेती में होने वाला खर्च निकालना होता है. अगर मंडी में उसे सही रेट न मिले तो लागत भी नहीं निकल पाती है. क्लाइमेट चेंज के कारण प्याज उगाने में पाच गुना दवा और खाद का खर्च बढ़ गया है. 22 रुपये किसान का उपज खर्च है जबकि मंडी में उसे 8 से 18 रुपये की कीमत मिलती है.
प्याज किसान का कहना है कि होलसेल मंडी में उत्पादन खर्च भी नहीं निकल पा रहा है. उलटा जेब से पैसा जा रहा है. कर्जा निकाल के हम फसल उपजाते हैं. लेकिन हमारा खर्चा और कर्जा बढ़ते ही जाता है. उचित दाम नहीं मिलता. केंद्र सरकार से हम ये मांग कर रहे हैं कि निर्यात पर 20 परसेंट ड्यूटी लगी है, उसे हटाया जाए क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के लिए कस्टम डिपार्टमेंट को पेमेंट करने के बाद प्याज देश में जाता है. इसमें किसान की क्या गलती है. हमारा उत्पादन खर्च सरकार को कम करना चाहिए. दवा और खाद पर जीएसटी माफ करना चाहिए जिससे किसान का उत्पादन खर्च कम आएगा और बाजार में जो भी दाम मिलेगा, वह किसान के हित का रहेगा.
प्याज किसान महेंद्र सूर्यवंशी कहते हैं कि हिंदुत्व नेता, राज्य के मंत्री नितेश राणे को इस बात का एहसास होना चाहिए कि प्याज का मुद्दा कितना गंभीर है. उन्हें इस पर अमल भी करना चाहिए. इसी मकसद से नासिक के बागलान तालुक में एक धार्मिक कार्यक्रम में हमने उन्हें प्याज की माला पहनाई. महेंद्र कहते हैं कि मालेगांव तालुका के काजवाडे गाव में हमारा पांच एकड़ का खेत है. इस क्षेत्र के एक एकड़ में प्याज लगाया गया था.
बारिश के कारण उत्पादन कम हो गया. साढ़े तीन से चार हजार रुपये प्रति क्विंटल प्याज की कीमतें 2,000 रुपये तक गिर गईं. आठ से 10 क्विंटल प्याज अभी भी खेत में पड़ा हुआ है. पिछले साल भी ऐसी ही स्थिति बनी थी और नुकसान उठाना पड़ा था. उससे पहले, हमने तीन वर्षों तक लगातार फसल ली थी और इससे कर्ज चुकाया जा रहा था. पिछले साल से इसका भुगतान नहीं हो सका है.
किसान सूर्यवंशी ने कहा, 10 से 12 बकरियों से काम चलाने की कोशिश की. लेकिन, पिता की बीमारी के कारण बकरियां भी बेचनी पड़ीं. जैसे हमारे प्याज के दाम कम किए गए, वैसे डॉक्टर ने इंजेक्शन के दाम कम नहीं किए. सूर्यवंशी ने उम्मीद जताई कि मंत्री नितेश राणे को भी इसके लिए केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए.(प्रवीण ठाकरे की रिपोर्ट)
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