महाराष्ट्र में प्याज उत्पादन के लिए सिर्फ नासिक ही नहीं मशहूर है. धुले जिला भी इसमें शामिल है. लेकिन निर्यातबंदी ने यहां के किसानों के अरमान भी धुल दिए हैं. महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार धुले मंडी में 26 अप्रैल को मात्र 2783 क्विंटल प्याज बिकने आने के बावजूद किसानों को सिर्फ एक रुपये किलो का न्यूनतम दाम मिला. अधिकतम दाम भी सिर्फ 13 रुपये किलो रहा. जबकि औसत दाम भी सिर्फ 11 रुपये किलो रहा. सारे दाम प्याज के उत्पादन लागत से कम हैं. बहुत कम आवक के बावजूद राज्य की ज्यादातर मंडियों में अधिकतम दाम भी किसानों को 15 रुपये किलो तक ही मिल रहा है. किसानों का कहना है कि यही हाल रहा तो अगले साल किसान प्याज की खेती और कम कर देंगे.
महाराष्ट्र कांदा उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि जब भी दाम बढ़ता है सरकार उसे रोक देती है. अगर सरकार जनता को फ्री में प्याज बांटना चाहती है तो किसानों का नुकसान करके ऐसा क्यों कर रही है. सरकार लागत मूल्य पर मुनाफा देकर किसानों से खरीदे और उसे पीडीएस के माध्यम से बांट दे. जैसे गेहूं खरीदती है. इससे महंगाई भी नहीं बढ़ेगी और किसानों को नुकसान भी नहीं होगा. दिघोले का कहना है कि इस चुनाव में महाराष्ट्र के किसान उन लोगों को जवाब दे रहे हैं जिनकी वजह से लाखों का नुकसान हुआ है. निर्यात बंदी की वजह से पूरे राज्य में प्याज किसान बेहाल हैं. उन्हें दाम नहीं मिल रहा है.
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महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है लेकिन यहां के किसानों को सरकार की वजह से सही दाम नहीं मिल रहा है. इसलिए किसानों का कहना है कि जब उन्हें प्याज उगाकर कोई फायदा ही नहीं मिलने वाला तो इसकी खेती क्यों करेंगे. इसकी खेती वो बंद कर देंगे. बाद में सरकार देश को खिलाने के लिए खाने के तेल और दालों की तरह प्याज का भी आयात करेगी. किसानों ने अपने गुस्से का ट्रेलर दिखा भी दिया है. महाराष्ट्र में 2021-22 में 9,46,000 हेक्टेयर में प्याज की खेती हुई थी. जबकि यह 2022-23 में घटकर 8,09,000 हेक्टयर रह गई. इसका मतलब 1,37,000 हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की खेती कम हो गई है. इसकी वजह से यहां पर उत्पादन में भारी गिरावट देखी गई है.
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