दिवाली के चलते नासिक की अधिकांश प्याज मंडियां 19 नवंबर तक बंद हैं. अभी प्याज बेचने के लिए किसानों को चार दिन और इंतजार करना होगा. करीब 10 दिन की मंडी बंदी के कारण किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. दिवाली के पहले से ही मंडियों को व्यापारियों के कहने पर उसके मैनेजमेंट ने बंद कर दिया था. महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले का कहना है कि जब किसानों को प्याज बेचकर पैसा चाहिए था तब व्यापारियों ने मंडी बंद करा दी. इससे किसानों को हजारों रुपये का नुकसान हुआ. किसानों को अपनी सोयाबीन जैसी फसलें कम दाम पर बेचकर त्यौहार के लिए पैसे का इंतजाम करना पड़ा.
अब नासिक की प्याज़ मंडियां 20 नवंबर सोमवार को खुलेंगी. तभी नीलामी शुरू होगी. यानि अभी किसानों को अपनी प्याज़ बचनेके लिए चार दिन और इंतजार करना होगा. किसानों को आशंका कि जब मंडी खुलेगी तब एक साथ किसान प्याज बेचने आएंगे तब व्यापारी बहाना बनाएंगे कि आवक ज्यादा बढ़ गई है और प्याज का भाव कम देंगे. ऐसा ऐसा हुआ तो इसके लिए पूरी तरह से व्यापारी और मंडी प्रबंधन जिम्मेदार होंगे.
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महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक है, जहां देश का 43 परसेंट प्याज पैदा होता है. जबकि महाराष्ट्र के अंदर नासिक सबसे बड़ा प्याज उत्पादन करने वाला जिला है. नासिक प्याज की खेती के लिए ही मशहूर है. यहां कम से कम 20 बड़ी प्याज की मंडियां हैं. यहां किसानों की मुख्य फसल प्याज ही है. इसलिए यहां मंडियों को करीब 10 दिन तक लगातार बंद रखना किसानों को बड़ी चोट दे गया है. जबकि किसान नेता दिघोले का कहना है कि नियम के अनुसार 3 दिन से ज्यादा कोई भी मंडी लगातार बंद नहीं रखी जा सकती. लेकिन व्यापारी और मंडी मैनेजमेंट सरकार के नियमों को ताक पर रखकर काम कर रहे हैं.
नासिक में मंडी लंबे समय तक बंद होने से किसानों में नाराजगी देखी जा रही है. किसानों का कहना है कि अभी प्याज का थोड़ा अच्छा दाम मिलना शुरू ही हुआ ही था कि मंडी बंद कर दी गई. किसानों को उम्मीद थी दिवाली में और भी अच्छा दाम मिलेगा, लेकिन ज्यादा दिनों तक मंडी बंद होने से प्याज उत्पादकों की ऐसी उम्मीदों पर पानी फिर गया. इससे पहले एक हफ्ते तक व्यापारियों ने हड़ताल करके मंडी बंद रखी थी. जबकि अगस्त में प्याज पर 40% एक्सपोर्ट ड्यूटी के लगाने के खिलाफ भी मंडी बंद रखी गई थी. मंडियों के बंद होने से सीधे तौर पर किसानों को नुकसान होता है.
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