भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग ने असम के गुवाहाटी में ‘खाद्य मूल्य प्रबंधन और पूर्वोत्तर क्षेत्र में दलहन एवं बागवानी फसल उत्पादन का विस्तार’ विषय पर एक दिवसीय राउंड टेबल परामर्श का आयोजन किया. विभाग की सचिव निधि खरे ने पूर्वोत्तर के राज्यों को सलाह दी कि यहां दालों और बागवानी फसलों का उत्पादन को बढ़ावा देना चाहिए. 2027 तक दालों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने में पूर्वोत्तर राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि यहां दालों के उत्पादन को बढ़ाने से इसकी राष्ट्रीय उपलब्धता बढ़ेगी और आयात घटेगा. आयात पर निर्भरता कम करने के साथ-साथ, उत्पादन बढ़ाकर आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को कंट्रोल किया जा सकता है. इसका समग्र खाद्य मुद्रास्फीति और अर्थव्यवस्था पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव ने राज्यों के एकीकृत और समावेशी दृष्टिकोण के महत्व, विभाग की ओर से दी जा सकने वाली मदद और कॉन्ट्रैक्ट खेती की पहल के माध्यम से इस उद्देश्य को समर्थन देने में एनसीसीएफ की भूमिका के बारे में बताया.
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आईसीएआर के प्रतिनिधियों ने कार्यशाला के दौरान रिसर्च प्रोग्रेस, पूर्वोत्तर राज्यों के लिए उपयुक्त दलहन किस्मों की उपलब्धता और क्षेत्र में दलहन बीज केंद्रों के बारे में बताया, जो राज्यों में दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने में सहायक हो सकते हैं. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने किसानों को गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराने में राज्यों को सहायता देने के लिए बीज मिनी किट देने की पहल को लेकर चर्चा की.
वहीं, असम सरकार के खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, बिस्वरंजन सामल ने एमएसपी खरीद के साथ किसानों को सहायता प्रदान कर राज्य में धान उत्पादन में आए बदलाव के बारे में बताया. उन्होंने सभी प्रतिभागियों से कार्यशाला में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया.
इसके अलावा उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ने बताया कि रेल रेक के माध्यम से 840 मीट्रिक टन प्याज की खेप 5 नवंबर, 2024 को गुवाहाटी के चांगसारी स्टेशन पर पहुंच चुकी है. एनसीसीएफ की ओर से असम, मेघालय, त्रिपुरा और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न जिलों में प्याज दी जा रही है. इससे पूर्वोत्तर राज्यों में बड़े स्तर पर प्याज उपलब्ध रहेगी और कीमतों में कमी आएगी. प्रमुख मंडियों में प्याज के थोक निपटान से उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों को कम करने में मदद मिली है.
चर्चा में शामिल हुए सभी राज्यों के प्रतिनिधियों ने चुनौतियों, अपेक्षित समर्थन पर बात की और राज्यों में दालों और बागवानी फसलों के उत्पादन को बढ़ाने की पहल के साथ-साथ राज्य स्तरीय मूल्य स्थिरीकरण में मिलकर काम करने की इच्छा जताई.
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