मध्य प्रदेश का विश्व प्रसिद्ध आम नूरजहां अब विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है. अब मध्य प्रदेश में इसकी 11 से भी कम पेड़ बचे हुए हैं. इस आम की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके एक फल का वजन 4 किलो से भी अधिक हो सकता है. वैज्ञानिक और स्थानीय केवीके के प्रमुख डॉ. आरके यादव ने शुक्रवार को बताया कि मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले में अब नूरजहां आम के केवल 10 पेड़ ही बचे हैं. यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो, नूरजहां आम के पेड़ इतिहास बन कर रह जाएंगे.
डेक्कन क्रॉनिकल की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. आरके यादव ने कहा कि अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा ब्लॉक में अब केवल दस नूरजहां आम के पेड़ बचे हैं. डॉ. यादव ने कहा कि अलीराजपुर के केवीके ने वृक्ष प्रजातियों के संरक्षण और पुनर्जीवित करने के लिए एक परियोजना शुरू की है. उनके अनुसार, नूरजहां आम किस्म के 10 जीवित पेड़ों में से सात कट्ठीवाड़ा के दो भाइयों, शिवराज सिंह और भरत सिंह के खेतों में लगे हुए हैं. इसी प्रकार, जहां एक पेड़ जोबट के काली खेतरा गांव में पाया गया है, जिसे स्थानीय किसान प्रदीप सिंह ने अपने कृषि क्षेत्र में उगाया है.
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वहीं 9वां पेड़ अलीराजपुर जिला मुख्यालय के पास छोटा उंदन गांव में किसान युवराज सिंह द्वारा उगाया गया है. इसी तरह 10वां पेड़ अलीराजपुर के पूर्व राजपरिवार के महल में लगा हुआ है. उनके अनुसार, केवीके, अलीराजपुर ने पिछले साल ग्राफ्टिंग विधि अपनाकर इस किस्म के दो मातृ वृक्ष बनाने का प्रयास शुरू किया था. लेकिन, ट्रांसमिशन तार के संपर्क में आने से दोनों पेड़ों में करंट आ गया. इस पेड़ की किस्म से 4.5 किलोग्राम वजन तक के आम पैदा होते हैं.
डॉ. यादव ने कहा कि पिछले साल, 3.5 किलोग्राम वजन वाला नूरजहां आम बाजार में 5,000 रुपये में नीलाम हुआ था. आम की किस्म उष्णकटिबंधीय जलवायु में रेतीली मिट्टी पर उगती है. उन्होंने कहा कि आने वाले चार वर्षों में टिश्यू कल्चर तकनीक अपनाकर इस किस्म के लगभग 200 आम के पेड़ उगाने की योजना है.
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