देश में सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाला अन्न गेहूं ही है जिसका बड़े पैमाने पर उत्पादन उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात में होता है. गेहूं का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों के बीच कई सारी उन्नत किस्में मौजूद हैं. वहीं कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा गेहूं की नई-नई किस्में भी विकसित की गई हैं. वर्तमान में गेहूं की कई किस्में ऐसी हैं जो कम लागत में अच्छी पैदावार दे रही हैं और कीट, रोगों से प्रतिरोधी भी हैं. अधिक पैदावार लेने के लिए गेहूं की उन्नत किस्मों का चयन करने में कृषि विज्ञान केंद्र की भूमिका महत्वपूर्ण है.
गेहूं की अलग-अलग किस्मों की बुवाई का समय भी 10 नवंबर से लेकर 25 नवंबर तक होता है. ऐसे में किसानों के बीच एचडी 3411, एचडी 340, pbw 371, pbw252, pbw 39, dbw 187 प्रमुख किस्में हैं जिनका प्रयोग किसानों के द्वारा बड़े पैमाने पर किया जा रहा है.
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गेहूं की खेती में उन्नत किस्म का चयन करना किसानों के लिए सबसे मुश्किल होता है. ज्यादातर किसान गेहूं की उन्नत किस्म का चयन उत्पादन को देखते हुए करते हैं. लेकिन कई और बातों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा किसानों को न सिर्फ कृषि संबंधित सलाह दी जाती है बल्कि उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत किस्म के चयन के साथ-साथ उन्नत किस्म के बीज भी उपलब्ध कराए जाते हैं. सभी कृषि विज्ञान केंद्र पर सीजन के अनुरूप धान और गेहूं की उन्नत किस्म का खेत में प्रदर्शन भी किया जाता है, जिसमें किसानों को दिखाया जाता है. अयोध्या स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पर वर्तमान में 16 प्रमुख उन्नत किस्मों के गेहूं का प्रदर्शन किया गया है. किसान इन्हें देखकर बड़ी आसानी से आने वाले सीजन के लिए योजना बना सकते हैं.
कृषि विज्ञान केंद्र अयोध्या के अध्यक्ष और हेड डॉ. बी. पी शाही ने किसान तक को बताया कि उनके यहां फार्म में 16 उन्नत किस्मों के गेहूं का प्रदर्शन किया गया है जिसमें PBW-187 वैरायटी किसानों के बीच सबसे ज्यादा चर्चित है. यह किस्म करनाल की है. इसका उत्पादन भी 82 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है. इसीलिए किसानों के द्वारा सबसे ज्यादा अधिक क्षेत्रफल में उत्तर प्रदेश में इस वैरायटी का चयन किया गया है. वहीं दूसरी प्रमुख किस्म PBW 252 है जिसका उत्पादन क्षमता 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इस किस्म की सबसे खास बात है कि यह दो सिंचाई में भी भरपूर पैदावार देती है. इसके अलावा DBW 303 का उत्पादन 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जबकि DBW 371 एक बायो फोर्टीफाइड किस्म के रूप में है जो जिंक और प्रोटीन से भरपूर है.
गेहूं की वैसे तो सैकड़ों किस्में खेतों में बोई जा रही हैं. वहीं सरकार भी इन दिनों ऐसी किस्म को प्रोत्साहित कर रही है जिसमें न सिर्फ उत्पादन क्षमता अधिक हो बल्कि पोषण संबंधी फायदे ज्यादा हों. ऐसी ही एक किस्म का विकास पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया है जो बायो फोर्टीफाइड किस्म के रूप में है. यह किस्म PBW Z-2 के नाम से चर्चित है. इस किस्म में जिंक, प्रोटीन के साथ-साथ कई सारे पोषक तत्व हैं. इसके उपयोग से शरीर को भरपूर पोषण मिलेगा. इस किस्म का गेहूं भी लाल रंग का दिखाई देता है. वहीं इसका उत्पादन भी 60 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.
गन्ने की खेती करने वाले किसान इस बात को लेकर सबसे ज्यादा परेशान रहते हैं कि फरवरी महीने में ऐसी कौन सी गेहूं की किस्म है जिसकी बुवाई करके वे अच्छा उत्पादन पा सकते हैं. कृषि विज्ञान केंद्र अयोध्या के अध्यक्ष डॉ बी पी शाही ने बताया एचडी 3271 एक ऐसी वैरायटी है जो 115 दिन में तैयार हो जाती है. यह पछेती गेहूं की वैरायटी है. इसका उत्पादन भी 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक है.
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