अपने खास औषधीय गुणों की वजह से हल्दी की मसालों में एक खास पहचान है. इसमें खास एंटीवायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. इन्हीं सब कारणों से हल्दी की डिमांड हमेशा बनी रहती है. इसी को देखते हुए आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर हल्दी को जबलपुर के किसान ने ऑर्गेनिक पद्धति से तैयार किया है. ये एक सेलम प्रजाति की आर्गेनिक हल्दी है, जो अब मास्को में भी खाने का स्वाद बढ़ाएगी. आइए जानते हैं क्या है इसकी खासियत और कीमत.
जबलपुर में हिनौता गांव के युवा किसान अंबिका पटेल ने बताया कि उन्होंने सेलम प्रजाति की हल्दी की खेती 4 एकड़ में की है, जिसका सैंपल उन्होंने मास्को की एक मसाला कंपनी को भेजा है. कंपनी ने उन्हें 15 क्विंटल का आर्डर दिया है, जिसकी पहली खेप जनवरी में भेजी जानी है. अंबिका पटेल ने बताया कि सामान्य हल्दी की कीमत बाजार में 150 से 200 रुपये किलो है. वहीं, आर्गेनिक हल्दी जो उन्होंने तैयार की है उसकी कीमत थोक में करीब 400 रुपये से 600 रुपये किलो के बीच रखी है.
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किसान अंबिका पटेल ने बताया कि 23 जनवरी से 9 फरवरी तक रूस प्रदर्शनी में जबलपुर की हल्दी को विजिटर्स के लिए रखा जाएगा. ऐसे में उनका मानना है कि मास्को में इस हल्दी की कीमत करीब 1200 रुपये प्रति किलो तक जा सकती है.
किसान अंबिका ने बताया कि जबलपुर की आर्गेनिक हल्दी की डिमांड विदेशों में उपयोग हो रहे मसालों में सबसे अधिक है. इसलिए अब शहडोल के किसानों के समूह के साथ मिलकर हल्दी का रकबा बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. करीब 200 हेक्टेयर में इसकी खेती को लेकर किसानों के साथ चर्चा चल रही है. अंबिका पटेल ने बताया कि सेलम प्रजाति की आर्गेनिक हल्दी को मध्य प्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण द्वारा जैविक प्रमाणीकृत किया जा चुका है. लैब में टेस्ट के बाद हल्दी की क्वालिटी के लिए करक्यूमिन की मात्रा 5 से 7 प्रतिशत पाई गई है और ऑयल की मात्रा 4-5 प्रतिशत है. उन्होंने बताया कि इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए वो उत्पादन बढ़ाने पर काम कर रहे हैं.
जवाहरलाल नेहरू कृषि विवि के हॉर्टिकल्चर विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. एसके पांडे ने बताया कि आर्गेनिक पद्धति से हल्दी लगाई है तो उसमें करक्यूमिन की मात्रा 5-7 प्रतिशत के बीच होनी चाहिए और पत्तियों में ऑयल करीब 5 प्रतिशत तक होनी चाहिए. यदि ऐसा है तो निश्चित ही हल्दी के लिए जरूर आर्गेनिक पद्धति का उपयोग किया गया होगा.
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