शुगर फ्री धानदेश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या काफी तेजी से बढ़ती जा रही है. आज भी डायबिटीज पेशेंट को चावल,शक्कर,आलू और मीठी चीज खाने के लिए डॉक्टर मना करते हैं. इसके लिए लोग कई तरह की शुगर फ्री चीजें भी खाते हैं. लेकिन क्या आपने शुगर फ्री चावल के बारे में सुना है? दरअसल, मध्य प्रदेश के एक किसान ने ऐसा ही चावल उगाया है जो शुगर फ्री है. ये धान 120 दिन में बिना खाद-कीटनाशक के तैयार हो जाती है. इस बीज को किसान ने 500 रुपये प्रति किलो के भाव से उत्तराखंड से मंगवाया था.
रायसेन जिले की धान दूसरे देशों में अपनी पहचान स्थापित कर चुकी है, जिसके बाद अब किसान भी नए-नए प्रयोग कर धान का उत्पादन करने में लगे हैं. जिला मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर मोहनिया गांव के किसान अनिल शर्मा ने शुगर-फ्री जैविक धान की फसल उगाई है. यह धान का बीज किसान ने उत्तराखंड से मंगवाया था. किसान ने इसकी खेती में किसी भी तरह के खाद या कीटनाशक का उपयोग नहीं किया है. उन्होंने बताया कि धान मात्र 120 दिनों में पककर तैयार हुई है.
किसान अनिल शर्मा ने बताया कि उन्होंने उत्तराखंड से 500 रुपये प्रति किलो की दर से शुगर-फ्री धान का बीज मंगवाया था. उन्होंने बताया कि इस धान की अलग विशेषता है. धान की बालियां बाहर से काली होती हैं, लेकिन अंदर से सफेद चावल निकलता है. वहीं, इस किस्म का नाम पूसा नरेंद्र (काला नमक) है. यह धान 120 दिनों में बिना कीटनाशक का छिड़काव के तैयार हो जाती हैं. यह पूरी तरह रोगमुक्त किस्म है.
इसकी उच्च रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण फसल पर कोई बीमारी नहीं लगती है. किसान को फसल में कीटनाशक और रासायनिक खाद का उपयोग न करने से प्रति एकड़ 10 से 15 हजार रुपये की लागत कम आई है. वहीं, किसान ने 5 किलो बीज मंगवाकर 2 एकड़ रकबे में रोपा था. किसान अनिल शर्मा ने बताया कि अगले साल वे इस बीज का रोपण और भी अधिक रकबे में करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने बताया कि वर्तमान में धान की कटाई चल रही है. देखना यह है कि जैविक और शुगर-फ्री होने के कारण इस चावल को बाजार में बेहतर दाम मिलने की उम्मीद है. यह चावल स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी माना जा रहा है. (राजेश कुमार रजक की रिपोर्ट)
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