महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है. इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने मसूर दाल पर फ्री इंपोर्ट ड्यूटी एक साल के लिए बढ़ा दी है. अब मसूर दाल के आयात पर 31 मार्च 2025 तक कोई ड्यूटी नहीं ली जाएगी. इससे दाल की बढ़ती कीमतों को रिटेल मार्केट में कम करने में सरकार को काफी मदद मिलेगी. इससे पहले सरकार ने पीली मटर को इंपोर्ट फ्री किया था.
इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बिमल कोठारी ने कहा कि मसूर दाल के लिए फ्री इंपोर्ट ड्यूटी को एक साल के लिए बढ़ाने पर आयातकों को फायदा होगा. इससे घरेलू मार्केट में दलहन की आपूर्ति बढ़ जाएगी, जिससे कीमतों में और गिरावट आ सकती है. उन्होंने कहा कि मसूर को इंपोर्ट फ्री करने की वजह से इसके आयात में बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में तुअर दाल के उपभोक्ता कीमत अधिक होने से मसूर दाल की तरफ रुख कर रहे हैं.
दरअसल, इस साल औसत से कम बारिश होने के चलते दलहन के उत्पादन में गिरावट आई है. इससे दालों की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. लेकिन सबसे अधिक तुअर दाल की कीमतें लोगों को परेशान कर रही हैं. व्यापार अनुमानों के अनुसार, तुअर दाल की ऊंची कीमत के कारण उपभोक्ता अन्य दालों की ओर रुख कर रहे हैं.
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आईग्रेन इंडिया के अनुसार, अप्रैल से नवंबर के दौरान मसूर का कुल आयात 11.48 लाख टन रहा, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा 8.58 लाख टन था. आईग्रेन इंडिया के राहुल चौहान ने कहा कि उद्योग इस छूट की उम्मीद कर रहा था. ऐसे भारत मुख्य रूप से कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे प्रमुख उत्पादक देशों से दाल का आयात करता है.
इस बीच, चालू रबी फसल के मौसम में मसूर की बुआई का रकबा, जो पिछले सप्ताह तक पिछड़ रहा था, उसमें तेजी आई है और पहली बार यह पिछले साल के स्तर से अधिक हो गया है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 22 दिसंबर तक मसूर का रकबा एक साल पहले के 17.77 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 17.97 लाख हेक्टेयर (एलएच) हो गया है. हालांकि, रबी दालों का कुल रकबा अभी भी एक साल पहले के 148.53 लाख हेक्टेयर से कम होकर 137.13 लाख हेक्टेयर पर आ गया है, जिसका मुख्य कारण चना की खेती में गिरावट है.
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मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में अनुकूल मौसम की स्थिति के कारण, दाल व्यापार को उम्मीद है कि इस साल मसूर की अधिक पैदावार से उत्पादन में 5 से 10 प्रतिशत की वृद्धि होगी. 2022-23 के दौरान मसूर का उत्पादन 15.8 लाख टन से अधिक रहा, जो पिछले वर्ष के 12.69 लाख टन से अधिक है.
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