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मक्के की खेती में बंपर मुनाफे के ल‍िए करें अच्छी क‍िस्मों का चयन, जान‍िए कुछ खास वैरायटी की ड‍िटेल

मक्के की खेती में बंपर मुनाफे के ल‍िए करें अच्छी क‍िस्मों का चयन, जान‍िए कुछ खास वैरायटी की ड‍िटेल

हाईब्रिड क‍िस्म IMH 228 की औसत उपज 105.7 क्विंटल/हेक्टेयर है. इसकी खेती के लिए बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश के पूर्वोत्तर मैदानी क्षेत्र के लिए पहचाना गया था. इसी तरह IMH224 और IMH227 क‍िस्म का मक्का भी क‍िसानों के ल‍िए बहुत अच्छा है.

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मक्के की वैरायटी मक्के की वैरायटी

इथेनॉल बनाने के ल‍िए सरकार अब मक्के का उत्पादन बढ़ाने पर फोकस कर रही है. लेक‍िन उत्पादन तब बढ़ेगा जब इसकी खेती से क‍िसानों को अच्छा प्रॉफ‍िट म‍िलेगा और किसान अधिक से अधिक मक्के की खेती में ध्यान लगाएंगे. किसानों को मक्के से अच्छे प्रॉफ‍िट के ल‍िए ऐसी क‍िस्मों पर फोकस करना होगा ज‍िनकी उत्पादकता ज्यादा हो. इसल‍िए मक्के की खेती से पहले क‍िसानों को इसकी क‍िस्मों का सही चयन करना जरूरी है. 

भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई IMH 225 और  IMH 228, मक्के की ऐसी क‍िस्में हैं जिनको बसंत, रबी और खरीफ तीनों सीजन में उगाया जा सकता है.  IMH 225 की उपज 102.5 क्विंटल/हेक्टेयर है. इसको तैयार होने में 155-160 दिन का वक्त लगता है. खास बात यह है क‍ि यह क‍िस्म तना छेदक, गुलाबी तना छेदक और फॉल आर्मीवर्म के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है. साथ ही मेडिस लीफ ब्लाइट, फ्यूजेरियम डंठल सड़ांध और चारकोल सड़ांध, टर्सिकम लीफ ब्लाइट रोगों के प्रति प्रतिरोधी है. यह क‍िस्म पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश (पश्चिमी क्षेत्र), उत्तराखंड (मैदानी क्षेत्र) और दिल्ली के ल‍िए उपयुक्त है. 

मक्के की बंपर उपज किस्में

दूसरी ओर, हाईब्रिड क‍िस्म IMH 228 की औसत उपज 105.7 क्विंटल/हेक्टेयर है. इसकी खेती के लिए बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश के पूर्वोत्तर मैदानी क्षेत्र के लिए पहचाना गया था. इसी तरह IMH224 और IMH227 क‍िस्म का मक्का भी क‍िसानों के ल‍िए बहुत अच्छा है. 

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IMH-224 मक्के की एक उन्नत किस्म है. यह मक्के की हाईब्र‍िड किस्म है. बिहार, ओडिशा, झारखंड और उत्तर प्रदेश के किसान खरीफ सीजन के दौरान इसकी बुवाई कर सकते हैं क्योंकि IMH-224 एक वर्षा आधारित मक्के की किस्म है. बारिश के पानी से इसकी सिंचाई हो जाती है. इसकी पैदावार 70 क्व‍िंटल प्रति हेक्टेयर है. यह 90 दिनों में तैयार हो जाती है. रोग प्रतिरोधक होने की वजह से इसके ऊपर चारकोल रोट, मैडिस लीफ ब्लाइट और फुसैरियम डंठल सड़न जैसे रोगों का असर नहीं होता है.

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इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेज रिसर्च (IIMR) के निर्देशक डॉ. हनुमान सहाय जाट का कहना है कि भारतीय मक्का अनुसंधान ने करीब 149 हाईब्रिड किस्मों को विकसित किया है. क‍िसान खेती करते समय अच्छी और नई किस्मों का चयन करें. ज्यादा उत्पादकता वाली क‍िस्मों का चयन करें तो उन्हें इसकी खेती में ज्यादा मुनाफा म‍िलेगा. केंद्र सरकार भी 'इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि' नाम से प्रोजेक्ट चला रही है. इसमें एफपीओ, किसानों, डिस्टिलरी और बीज उद्योग को साथ लेकर काम क‍िया जा रहा है.