कुरुक्षेत्र और अंबाला में आलू किसानों की बढ़ी चिंता, कम दाम और बीमारी की दोहरी मार

कुरुक्षेत्र और अंबाला में आलू किसानों की बढ़ी चिंता, कम दाम और बीमारी की दोहरी मार

कुरुक्षेत्र और अंबाला के आलू किसान इस समय बड़ी परेशानी में हैं. बाजार में आलू के दाम गिर रहे हैं और खेतों में फंगल बीमारी फैल रही है. इससे लागत बढ़ गई है और मुनाफा कम हो रहा है. किसानों ने सरकार से मदद और सही सलाह की मांग की है.

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कुरुक्षेत्र और अंबाला में आलू किसानों की बढ़ी चिंता, कम दाम और बीमारी की दोहरी मारकम दाम और फंगल बीमारी से परेशान आलू किसान

हरियाणा के कुरुक्षेत्र और अंबाला जिले के आलू किसान इस समय बहुत परेशान हैं. इस साल आलू की फसल से उन्हें जितनी कमाई की उम्मीद थी, उतनी नहीं हो पा रही है. एक तरफ बाजार में आलू के दाम लगातार गिर रहे हैं, दूसरी तरफ खेतों में एक फंगल बीमारी फैल रही है. इससे किसानों की मेहनत और खर्च दोनों बढ़ गए हैं.

बाजार में गिरते आलू के दाम

शाहाबाद की अनाज मंडी में आलू की आवक बहुत ज्यादा हो गई है. 23 दिसंबर तक यहां 2.34 लाख क्विंटल से ज्यादा आलू आ चुका है. ज्यादा आलू आने से दाम कम हो गए हैं. अभी सफेद आलू 390 से 510 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है. लाल आलू का दाम 700 से 800 रुपये प्रति क्विंटल है. किसानों का कहना है कि इतने कम दाम में लागत भी नहीं निकल पा रही.

बीमारी ने बढ़ाई परेशानी

किसानों की परेशानी यहीं खत्म नहीं होती. खेतों में एक फंगल बीमारी फैल रही है, जिसे “अर्ली ब्लाइट” कहा जाता है. इस बीमारी में आलू के पौधों की पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं और उन पर भूरे रंग के दाग पड़ जाते हैं. इससे आलू का बढ़ना रुक जाता है और पैदावार कम हो जाती है.

किसानों की आवाज

शाहाबाद के किसान राकेश कुमार कहते हैं कि पहले ही आलू के दाम कम मिल रहे हैं और अब बीमारी के कारण दवाइयों पर ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है. अंबाला के चूड़ियाला गांव के किसान तेजिंदर सिंह बताते हैं कि उनकी 33 एकड़ की फसल में से करीब 5 एकड़ में बीमारी लग गई है. उनका कहना है कि सरकार को आलू का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करना चाहिए, ताकि किसानों को नुकसान न हो.

4 एकड़ खेत में आलू की फसल बर्बाद

एक अन्य किसान गौरव शर्मा ने बताया कि उनके करीब 4 एकड़ खेत में आलू की फसल पर बीमारी का असर पड़ा है. उन्होंने दवाइयों का छिड़काव किया, लेकिन ज्यादा फायदा नहीं हुआ. उनका कहना है कि इस साल शुरुआती आलू भी पिछले साल के मुकाबले सस्ते बिक रहे हैं.

कृषि वैज्ञानिकों ने दी ये सलाह

द ट्रिब्यून के मुताबिक कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी हालात पूरी तरह खराब नहीं हैं. कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारी डॉ. विक्रम सिंह बताते हैं कि यह बीमारी आमतौर पर दिसंबर के बीच से जनवरी की शुरुआत तक होती है. अगर समय पर सही दवा का इस्तेमाल किया जाए तो नुकसान रोका जा सकता है. उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वे सही जानकारी लेकर ही दवाइयों का छिड़काव करें.

मौसम भी बन रहा कारण

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि कोहरा, ज्यादा नमी और बीच-बीच में धूप निकलना फंगल बीमारी के लिए अच्छा मौसम होता है. इसलिए किसानों को सावधान रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि विभाग की टीम खेतों का जायजा ले रही है और किसानों को मदद दी जाएगी. कुल मिलाकर आलू किसान इस समय मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं. उन्हें सही दाम, सही सलाह और सरकारी मदद की जरूरत है, ताकि उनकी मेहनत बेकार न जाए और आने वाले समय में वे राहत की सांस ले सकें.

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