भारत में अफीम की खेती करना कोई आसान बात नहीं है. अगर आप यह सोचकर बैठे हैं कि गेहूं, धान, सरसों, मटर आदि की तरह इसकी भी खेती कर सकते हैं, तो यह गलत धारणा है. इसके लिए आपको पहले सरकार से लाइसेंस लेना होता है. फिर सरकार तय प्रक्रिया के तहत अफीम खरीदती है.
वहीं गैर-कानूनी तरीके से अफीम की खेती करना दंडनीय अपराध है. दरअसल अफीम का इस्तेमाल नशीले पदार्थ के लिए किया जाता है. जिस वजह से इसकी खेती पर सरकार ने बिना लाइसेंस रोक लगा रखा है, लेकिन किसान लाइसेंस के साथ आज भी इसकी खेती कर सकते हैं. जानिए कैसे-
कैसे करें अफीम की खेती
अफीम की खेती आमतौर पर ठंड के मौसम में की जाती है. इसकी बुवाई अक्टूबर से नवंबर माह के बीच में की जाती है. इसकी खेती के लिए आपको पहले जमीन तैयार करने की जरूरत पड़ती है. बुवाई से पहले भूमि की 3-4 बार जुताई कर लेनी चाहिए ताकि खरपतवार निकाल जाए और मिट्टी हल्की हो जाए. खेत में पर्याप्त मात्रा में गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट मिला लें ताकि गुणवत्ता अच्छी तरह मिल सके.
अफीम की खेती में रखें इन बातों का ध्यान
अफीम की खेती में बस एक बात की ध्यान रखने की जरूरत है वो है उपज को ना बढ़ाते हुए गुणवत्ता पर ध्यान दें. ऐसे में उत्पादन को कम से कम करना जरूरी है. अफीम की खेती करने से पहले मिट्टी की जांच जरूर कर लें ताकि नुकसान ना उठाना पड़े.
कहां से मिलता है लाइसेंस और बीज?
अफीम की खेती के लिए सबसे पहले आपको सरकार से लाइसेंस लेना पड़ेगा. लाइसेंस लेकर भी आप अफीम की खेती हर जगह नहीं कर सकते हैं. इसकी खेती कुछ खास जगहों पर ही की जा सकती है. खेत में भी आप निर्धारित क्षेत्रफल में इसकी खेती कर सकते हैं, यह भी पहले से तय होता है.
अफीम की खेती के लिए लाइसेंस वित्त मंत्रालय द्वारा जारी किया जाता है. आप सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स की वेबसाइट से अफीम की खेती से जुड़े लाइसेंस और शेड्यूल की लिस्ट और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
नारकोटिक्स विभाग की कई संस्थाएं भी अफीम पर रिसर्च कर रही है. इन संस्थाओं से आपको पोस्ता दाना यानि अफीम का बीज मुहैया करवाया जाता है. अफीम की खेती में जवाहर अफीम-16, जवाहर अफीम-539 और जवाहर अफीम-540 जैसी उन्नत किस्में शामिल हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today