सेब के बागानों में पत्ता रोग या ब्लाइट रोग का प्रकोप बढ़ता पाया गया है. इससे उत्पादन प्रभावित होने का खतरा रहता है. डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी के पादप रोग विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों ने कुछ बागानों का दौरा कर बीमारी के प्रकोप का आकलन किया है. वैज्ञानिकों ने सेब किसानों को फसल को बचाने के लिए सही तरीका और सही दवा इस्तेमाल करने की विधि बताई है. वैज्ञानिकों ने सेब के पत्तों पर बीमारियों की रोकथाम के लिए सेब किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है.
नौणी विश्वविद्यालय और उसके कृषि विज्ञान केंद्र शिमला, सोलन और मशोबरा केंद्र के वैज्ञानिकों की तीन टीमों ने राज्य के कई इलाकों में सेब के बगीचों का दौरा किया. इस दौरान वैज्ञानिकों ने सेब के बागानों में फैलने वाली बीमारियों अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट या ब्लाइट और अन्य लीफ स्पॉट बीमारियों का आकलन किया. वैज्ञानिकों ने पौधों के स्वास्थ्य का मूल्यांकन, पत्ती के लक्षण की पहचान और रोग की गंभीरता का आकलन किया गया.
अल्टरनेरिया और अन्य फंगल की पहचान लीफ स्पॉट या ब्लाइट रोग की शुरुआती वजह के रूप में की गई है. कई बागीचों में रोग की गंभीरता के विभिन्न एवरेज लेवल दर्ज किए गए. इसमें से कोटखाई में 0-30 फीसदी, जुब्बल में 0-20 फीसदी, रोहड़ू में 0-20 फीसदी, चिड़गांव में 0-15 फीसदी, ठियोग में 0-10 फीसदी, चौपाल में 0-4 फीसदी. कीटनाशकों, फफूंदीनाशकों की सही मात्रा के साथ स्प्रे करने वाले किसानों के बागीचों में रोग की गंभीरता को कम पाया गया है. विश्वविद्यालय ने राज्य के अन्य सेब उत्पादक क्षेत्रों का दौरा करने के लिए चार नई टीमों को भी तैनात किया है.
रोग से बचाव के लिए नौणी विश्वविद्यालय और बागवानी निदेशालय की ओर से स्प्रे शेड्यूल के रूप में फफूंदनाशकों के छिड़काव की सलाह दी है. इसके अतिरिक्त, किसानों को इन पत्ते धब्बों या बलाइट की स्थिति की लगातार निगरानी करनी चाहिए और सलाह के अनुसार कवकनाशी का स्प्रे किया जाना चाहिए.
अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा या ब्लाइट रोग और अन्य पत्ती धब्बों के प्रबंधन के लिए किसान मैन्कोजेब 600 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. लेकिन जहां ये धब्बे या बलाइट रोग ज्यादा फैला है वहां पर किसानों को वैकल्पिक रूप से हेक्साकोनाज़ोल 4%+ज़िनेब 68% WP 500 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर या फिर कार्बेन्डाजिम 25%+ फ्लुसिलज़ोल 12.5% SC 160 मिलीलीटर प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. रोग से संक्रमित बगीचे में 10-12 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए.
माइट कीट की रोकथाम के लिए जरूरत पड़ने पर किसान फेनाज़ाक्विन @ 50 मिलीलीटर प्रति 200 लीटर या प्रोपरगाइट @ 200 मिलीलीटर प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. अगर उपरोक्त माइटसाइड्स का इस्तेमाल पहले से ही स्प्रे के रूप में किया जा चुका है तो प्रोपरगाइट 42% + हेक्सीथियाज़ॉक्स 2%EC @ 200 मिलीलीटर या साइनोपाइराफेन 30% SC 50 मिलीलीटर प्रति 200 लीटर पानी का इस्तेमाल किया जा सकता है. एक ही माइटसाइड्स को बार-बार न दोहराएं.
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