
भारत एक कृषि प्रधान देश है. यहां पर 75 प्रतिशत से अधिक आबादी की आजीविका कृषि पर ही निर्भर है. यहां पर किसान रबी और खरीफ फसल के साथ- साथ बड़े स्तर पर बागवानी भी करते हैं. इससे किसानों की अच्छी कमाई होती है. लेकिन आज हम एक ऐसी सब्जी के बारे में बात करेंगे, जिसकी एक बार बुवाई करने के बाद किसान लगातार चार साल तक फसल काट सकते हैं. खास बात यह है कि इस सब्जी की मांग मार्केट में पूरे साल रहती है. इसका रेटा भी हमेशा 30 से 40 रुपये किलो रहता है. ऐसे में किसान एक हेक्टेयर में इसकी खेती कर लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं.
दरअसल, हम कुंदरू की बात कर रहे हैं. यह एक ऐसी सब्जी है, जिसकी खेती में सिर्फ एक बार मेहनत करनी पड़ती है. फिर आप इससे कई सालों तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. चिकित्सकों की माने तो कुंदरू पौष्टिक तत्वों से भरपूर है. इसमें कैल्शियम, प्रोटीन, बीटा कैरोटीन और विटामिन ए प्रयाप्त मात्रा में पाया जाता है. इसका नियमित सेवन करने से शरीर स्वस्थ्य रहता है. वहीं, कुंदरू की जड़ों और पत्तियों का इस्तेमाल दवाई के रूप में भी किया जाता है. इसके रस पीने से मधुमेह रोगियों को काफी फायदा होता है.
अगर आप कुंदरू की खेती करना चाहते हैं, तो सबसे पहले इसकी अच्छी किस्मों का चुनाव करना होगा. अगर आप अच्छी किस्म की बुवाई नहीं करेंगे, तो अच्छी पैदावार भी नहीं होगी. ऐसे इंदिरा कुंदरू-3, अर्का नीलाचल कुंखी, इंदिरा कुंदरू-5, अर्का नीलाचल सबुजा और काशी भरपूर इसकी उन्नत किस्में हैं. खास बात यह है कि अर्का नीलाचल कुंखी सलाद और सब्जी के लिए जाना जाता है. इसकी सब्जी बहुत ही टेस्टी होती है. साथ ही इसके फल लंबे आकार के होते हैं. एक फल का वजन 25 ग्राम तक हो सकता है.
वहीं, बात अगर काशी भरपूर की करें तो इसका फल अंडाकार होता है. अगर एक हेक्टेयर में इसकी रोपाई करते हैं, तो आपको काशी भरपूर की 2500-2600 जड़ वाली कलमों की जरूरत पड़ेगी. खास बात यह है कि काशी भरपूर की रोपाई करने के 40-50 दिनों के बाद ही उत्पादन शुरू हो जाता है. इसी तरह अर्का नीलाचल सबुजा भी बंपर पैदावार देने वाली किस्म है. इसका फल देखने में गहरा हरा होता है. इसकी 10 से 11 महीन में 70 से 80 बार तुड़ाई कर सकते हैं.
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ऐसे कुंदरू की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी गई है. कुंदरू की रोपाई करने से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई कर लें. इसके बाद खेत में गोबर, जैविक खाद और वर्मी कंपोर्ट डाल दें. फिर पाटा चलाकर खेत को समतल कर दें, ताकि खाद अच्छी तरह से मिट्टी में मिल जाए. अब आप खेत में मेड़ बनाकर कुंदरू के पौधों की रोपाई कर सकते हैं. वहीं, जरूरत के हिसाब से पौधों को समय- समय पर सिंचाई भी करते रहें. कुंदरू की सबसे बड़ी खासियत है कि एक बार रोपाई करने के बाद आप इससे 4 सालों उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. अगर आप एक हेक्टेयर में इसकी खेती करते हैं, तो 300 क्विंटल तक की पैदावार मिल सकती है. अगर आप 30 रुपये किलो के हिसाब से भी कुंदरू बेचते हैं, तो आप 9 लाख रुपये कमाएंगे.
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