आजकल लोगों की सेहत से जुड़ी एक बड़ी समस्या है हाई ब्लड प्रेशर. लोग इस समस्या से निजात पाने के लिए डॉक्टरों के चक्कर लगाते रहते हैं. लेकिन अगर आपको कोई ये कहे कि अब आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या दूर करने के लिए डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है तो! आप शायद यकीन नहीं करेंगे, लेकिन बताया जाता है कि एक पेड़ ऐसा भी है जिससे बीपी की समस्या दूर हो जाती है. इस पेड़ का नाम अर्जुन है. इस पेड़ की छाल, पत्ते, फल तीनों ही काफी उपयोगी हैं. आइए जानते हैं क्या है इस पेड़, छाल और फल के फायदे.
आयुर्वेद में अर्जुन के पेड़ को बहुत महत्व दिया गया है. इस पेड़ के कई नाम हैं जैसे कोहा, काहू, अर्जन, ओरजुना, येरामद्दी आदि. अर्जुन के पेड़ नदियों और नालों के किनारे अधिक पाए जाते हैं. अर्जुन वृक्ष की छाल अत्यधिक औषधीय मानी जाती है. इस छिलके में कैल्शियम नमक, मैग्नीशियम नमक और ग्लूकोसाइड की मौजूदगी पाई जाती है.
अर्जुन की छाल का उपयोग कई औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है. इसके पेड़ की पत्तियों का रस कई बीमारियों के लिए कारगर इलाज माना जाता है. अर्जुन की पत्तियों का रस जलन और कान दर्द जैसी बीमारियों में बहुत उपयोगी है. अर्जुन के पेड़ में कई एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं.
आयुर्वेद में कई पेड़-पौधों और फल-फूलों का इस्तेमाल कई बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है. इन्हीं में से एक है अर्जुन इसके फल के सेवन से कई स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक किया जाता है. वहीं अर्जुन का फल काफी पौष्टिक और गुणकारी होता है. यह स्वाद में कसैला होता है. यह फल सफेद या पीले मंजरियों में लगा होता है. इस फल में हल्की सी सुगंध होती है. जब अर्जुन का फल कच्चा होता है, तो यह हरे और पीले रंग का दिखाई देता है और वहीं फल पकने के बाद भूरे और लाल रंग का हो जाता है.
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अर्जुन के पेड़ की पत्तियों के रस का उपयोग हृदय संबंधी शिकायतों के लिए दवा के रूप में किया जाता है. अर्जुन की पत्ती का रस शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम करता है. साथ ही ये पत्तियां हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाने का काम करती हैं. इसलिए आयुर्वेद में हृदय रोग के रोगियों के लिए अर्जुन की पत्तियों से बनी औषधियों का उपयोग किया जाता है.
अर्जुन के पेड़ की छाल में कई औषधीय गुण होते हैं, इस पेड़ की छाल का उपयोग अस्थमा जैसी बीमारी में औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. इस वृक्ष के औषधीय गुणों को देखते हुए ही इसे धार्मिक परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है. इस पेड़ के पत्ते और फूल भगवान विष्णु और भगवान गणेश को चढ़ाए जाते हैं. अर्जुन की पत्तियों, फूलों और छाल का उपयोग प्राचीन काल से ही चिकित्सा में किया जाता रहा है.
अर्जुन के पेड़ की खेती की बात करें तो आप इसे किसी भी मिट्टी में उगा सकते हैं, लेकिन इसमें अच्छी जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए. इसके अलावा 47 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान यानी गर्म जलवायु इस पेड़ के लिए अच्छी मानी जाती है वहीं, बीज बोने से पहले इन्हें पानी में भिगोकर उपजाऊ बनाया जाता है. उससे बाद खेत में गड्ढा तैयार करके उस बीज को बोया जाता है. साथ ही इसकी खेती करके किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं, क्योंकि इसके छाल और पत्तियों का इस्तेमाल दवाई बनाने तो लकड़ियों का इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में किया जाता है.
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