Sugarcane Part-2 : पर्यावरण के लिए बेहद फायदेमंद है गन्ने की फसल, नए शोध कर रहे हैं हैरान, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Sugarcane Part-2 : पर्यावरण के लिए बेहद फायदेमंद है गन्ने की फसल, नए शोध कर रहे हैं हैरान, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

आज के वक्त में गन्ने की फसल की भूमिका कई नजरिए से अहम होती जा रही है. देश के करोड़ों किसानों को बेहतर आय देने के साथ यह फसल अब पर्यावरण और पोषक तत्व प्रबंधन के लिए अहम होती जा रही है. गन्ने की फसल कार्बन डाइऑक्साइड CO2 को कम करने में अहम भूमिका निभा रही है. पर्यावरण में बढ़ते तापमान और हानिकारक गैस कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने की क्षमता रखती है. इस प्रकार ये फसल ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में योगदान दे रही है.

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Sugarcane Part-2 : पर्यावरण के लिए बेहद फायदेमंद है गन्ने की फसल, नए शोध कर रहे हैं हैरान, पढ़ें पूरी रिपोर्टगन्ने की फसल को लेकर कई मिथक तोड़ रहे हैं नए शोध. Graphics- Sandeep Bharadwaj

गन्नागाथा :आज के वक्त में गन्ने की फसल की भूमिका कई नजरिए से अहम होती जा रही है. आर्थिक दृष्टि से साल 2022-23 में 1,11,366 करोड़ रुपये की गन्ना की उपज चीनी मिलों और सरकार द्वारा खरीदी गई. धान की फसल के बाद गन्ने की उपज खरीदी गई, जिससे देश के करोड़ों किसानों को बेहतर आय हुई. वहीं फसल अब पर्यावरण और पोषक तत्व प्रबंधन के लिए अहम होती जा रही है. आज ग्लोबल वॉर्मिंग को लेकर हर तरफ चिंता बढ़ती जा रही है. संयुक्त राष्ट्रद्वारा 2015 में पेरिस में आयोजित बैठक में दुनिया भर के देशों ने वैश्विक तापमान को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे सीमित करने पर सहमति व्यक्त की है और सभी देश इस पर काम करने के लिए सहमत हुए हैं. ग्लोबल वॉर्मिंग के लिए जिम्मेदार गैसें कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, मीथेन, क्लोरो आदि हैं. पिछले दो दशकों में कार्बनडाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन 40 गुना बढ़ गया है. क्योंकि गन्ने की फसल कार्बन डाइ ऑक्साइड को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. गन्ने के पौधे पर्यावरण में बढ़ते तापमान और हानिकारक गैस कार्बन डाइऑक्साइड गैस को कम करने की क्षमता रखता है. इस प्रकार ये फसल ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में योगदान दें रही है. क‍िसान तक की सीरीज गन्ना गाथा की इस कड़ी में जानते है कैसे गन्ने की फसल पर्यावरण साफ सुथरा बना रही है ?

वातावरण को साफ सुथरा करने वाली फसल है गन्ना

बढ़ती ग्रीनहाउस गैसें और जलवायु परिवर्तन आज सबसे महत्वपूर्ण चिंताओं में से हैं. ऐसी चीजों पर अमल करने की सख्त जरूरत है ताकि इस ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन और ग्लोबल वार्मिंग को रोका जा सके. गन्ना एक C-4 पौधा है. गन्ने की पौध को वृद्धि और उत्पादन के लिए प्रकाश संश्लेषण के लिए दूसरी फसलों की तुलना में अधिक तापमान और CO2 की जरूरत होती है. इस प्रक्रिया में ग्रीन हाउस गैस कार्बन डाई आक्साईड और तापमान को कम कर देती है. जिससे वतावरण साफ सुथरा और उस एरिया में तापमान कम हो जाता है. उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद शाहजंहापुर की वैज्ञानिक अधिकारी डॉ प्रियंका सिंह ने बताया कि साल 2015 के बाद ग्रीन हाउस गैसों के संबध में गन्ना की फसल में अध्यन किया गया तो पाया गया कि सी-3 पौधे की तुलना में सी-4 पौधे अपना भोजन बनाने के लिए प्रकाश संश्लेषण क्रिया ज्यादा करते हैं. इसके लिए CO2 और तापमान की ज्यादा जरूरत होती है, जो वातारण से दूसरो पौधों तुलना में ज्यादा अवशोषित करते हैं. इससे वातावरण से कार्बन डाई आक्साईड की सफाई होती रहती है और पर्यावरण स्वस्थ रहता है.

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CO2 खाकर ग्लोबल वार्मिंग रोकने में मदद रहा गन्ना

डॉ. प्रियका सिंह ने कहा कि भारत में गन्ने की फसल हर साल लगभग 53 लाख हेक्टेयर में बोई जाती है, यह फसल अपने जीवनचक्र के दौरान भारतीय वायुमंडल से 2288.9 लाख टन CO2अवशोषित करती है. जबकि खेत में गन्ने के प्रकाश श्वसन और प्रसंस्करण के दौरान केवल 206.5 लाख टन CO2 रीलीज होता है. इस प्रकार यह एक ऐसी फसल है जो वातावरण से कार्बन डाइ ऑक्साइड और तापमान को कम करती है. उत्तर प्रदेश में 21 लाख हेक्टेयर में उगी गन्ने की फसल 845.8 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड सोखती है. उत्तर प्रदेश में उगाई जाने वाली फसल गन्ना CO2 अवशोषण में 40.61 प्रतिशत योगदान देती है.

ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में योगदान 

अगर गन्ने के प्रसंस्करण के दौरान कुछ बेहतर प्रबंधन किया जाए तो, इस फसल का उपयोग रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करते हुए मिट्टी के स्वास्थ्य और नमी संरक्षण में उपयोग किया जा सकता है. इससे गन्ने की खेती लागत में कमी के साथ पर्यावरण के अनुकूल तरीके से की जा सकती है. इस प्रकार गन्ने की फसल CO2 सफाई एजेंटों में से एक के रूप में कार्य करके हवा को शुद्ध करने में एक अहम भूमिका निभा रही है. चूंकि कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीनहाउस गैस का मुख्य घटक है. गन्ना की फसल से उत्तर प्रदेश के साथ-साथ भारत के गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर को कम करके पर्यावरण में ग्रीनहाउस गैस के प्रभाव को कम करके गन्ने की फसल ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में योगदान दे रही है.

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