पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या बड़ी है. पशुपालक हमेशा इस चिंता में रहते हैं कि पशुओं को ठंडी और गर्मी के दिनों में हरा चारा कहां से उपलब्ध कराएं. इसे देखते हुए किसान अपनी फसलों के साथ चारे की खेती कर सकते हैं. इसी में एक चारा है गोभी सरसों. गोभी सरसों पशुओं के लिए सुपाच्य, स्वादिष्ट और सेहत से भरपूर होती है.
किसानों को गोभी सरसों की खेती के लिए अलग से कोई इंतजाम करने की जरूरत नहीं होगी. वैज्ञानिक पद्धतियों में बताया गया है कि किसान गन्ने जैसी फसल के साथ उसी खेत में गोभी सरसों लगा सकते हैं. इससे पशुओं के लिए हरे चारे की समस्या दूर होगी. खासकर ठंडी के दिनों में पशुओं के लिए यह चारा लगातार मिलता रहेगा. गोभी सरसों को कई बार काटा और पशुओं को खिलाया जा सकता है.
आईसीएआर की पत्रिका खेती में बताया गया है कि पश्चिमी यूपी के गन्ना क्षेत्र में पशुपालक सर्दियों के दिनों में पशुओं को गन्ने का ऊपरी भाग, जिसे अगोला कहते हैं, खिलाते हैं. सर्दियों में किसानों के पास चारा उगाने के लिए कोई खेत खाली नहीं होता, इसलिए अगोला को खिलाते हैं. इस क्षेत्र में गन्ने की किस्म सीओ-0238 लगाई जाती है जो लाल सड़न रोग और तना छेदक कीट के प्रति संवेदनशील हो गई है.
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गन्ने की इस किस्म में बहुत अधिक कीटनाशक और कवकनाशक का इस्तेमाल होता है जिससे गन्ने का अगोला पशुओं के खाने लायक नहीं रह जाता. इसे देखते हुए भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान ने सर्दियों के दौरान गन्ने के साथ उगाई जाने वाली वैकल्पिक फसलों की पहचान की है. इसमें गोभी सरसों भी एक है. गोभी सरसों से किसानों को बहुत फायदा मिल रहा है क्योंकि इससे चारे की समस्या दूर हो रही है.
जो किसान अप्रैल से जून के बीच गन्ने की बुवाई करते हैं, वे 15 सितंबर के बाद गोभी सरसों के बीज को गन्ने की फसल में एक बार निराई-गुड़ाई करने के बाद छिड़कर लगा सकते हैं. इसके लिए खेत में एक बार सिंचाई करनी होती है. इसके बाद गन्ने में यह चारा उगकर मार्च-अप्रैल तक हरा चारा उपलब्ध कराता है. इस चारे को कई बार काटा जा सकता है. इस चारे से गन्ने की फसल पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता. इस तरह एक गन्ना और गोभी सरसों को एक साथ उगाकर किसान दोहरा लाभ ले सकते हैं.
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