पंजाब के खरीद केंद्रों पर पहुंच रही धान की उपज में अधिक नमी की मौजूदगी इस खरीफ मार्केटिंग सीजन में किसानों और आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) के लिए चिंता का विषय बन गई है. अधिकारियों ने बताया कि अनाज में नमी की मात्रा 18 से 22 प्रतिशत तक दर्ज की जा रही है, जबकि तय सीमा 17 प्रतिशत है. कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, कम पकी फसल की कटाई ही अनाज में अधिक नमी का मुख्य कारण बनी.
जालंधर जिले के कृषि प्रमुख जसविंदर सिंह ने बताया कि कटाई के समय प्रतिकूल मौसम की परिस्थितियों ने किसानों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है. उन्होंने कहा, 'हम किसानों से कह रहे हैं कि जब तक फसल पूरी तरह से पक न जाए, उसे न काटें.' नाकोदर के आढ़ती परनीत सिंह ने कहा कि खरीद एजेंसियां किसानों और आढ़तियों दोनों को अनाज में नमी की मात्रा को लेकर परेशान कर रही हैं. उन्होंने बताया कि जो किसान ज्यादा नमी वाला धान लेकर आ रहे हैं, उन्हें अनाज मंडियों में अपनी फसल सुखाने की अनुमति नहीं दी जा रही. इसके अलावा, अगर आढ़ती ऐसे अनाज को मंडी में उतारते पाए जाते हैं, तो विभाग और खरीद एजेंसियां कड़ी कार्रवाई करती है.
यह पहली बार है जब नमी का स्तर हर किसी के लिए इतनी बड़ी समस्या बन गया है. किसानों का कहना है कि अनाज में नमी की मात्रा कम करना मुश्किल हो गया है क्योंकि सुबह और शाम के समय तापमान भी गिर गया है. उनकी मानें तो फसल का अधिकांश हिस्सा अभी तक अनाज मंडियों तक नहीं पहुंचा है क्योंकि कटाई का काम अब धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है. केंद्र और खरीद एजेंसियों को नमी की अधिकतम सीमा बढ़ानी चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति में किसान मजबूरी में अपनी फसल बेचने को मजबूर हो जाते हैं. ऐसे में उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से बहुत कम दर पर अपनी फसल बेचनी पड़ती है.
जिला मंडी अधिकारी हरजोत सिंह ने कहा कि निर्धारित शर्तों को पूरा करने वाले अनाज की खरीद की जा रही है. अधिकारियों के अनुसार, तारनतारन में सरकारी एजेंसियों द्वारा लगभग 600 टन अनाज खरीदा गया है. अमृतसर जिले में स्थिति थोड़ी बेहतर है. जिला मंडी अधिकारी अमनदीप सिंह के अनुसार, अब तक सरकारी एजेंसियों द्वारा 9,000 मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है.
भगतांवाला मंडी, अमृतसर, जो मझा क्षेत्र की सबसे बड़ी अनाज मंडी है, के आढ़ती अंगेज सिंह ने बताया कि कुछ किसान जिनकी फसल निर्धारित शर्तों को पूरा नहीं करती, वे कम कीमत पर अपनी फसल बेचने को तैयार हैं. किसानों और आढ़तियों की यह परेशानी इस खरीफ सीजन में नई चुनौतियों को जन्म दे रही है. अनाज में अधिक नमी होने से न केवल किसानों की आमदनी प्रभावित हो रही है, बल्कि मंडियों और खरीद एजेंसियों के संचालन पर भी असर पड़ रहा है.
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