बारिश ने इस बार खरीफ फसलों की बुवाई की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी है. कहीं ज्यादा पानी खेती को तबाह कर रहा है और कहीं इसकी कमी से बुवाई नहीं हो पा रही है. किसान दुविधा में फंसे हुए हैं कि वो फसलों की बुवाई करें या नहीं. बुवाई (Sowing) के लिए खेत में नमी रहना जरूरी है ताकि बीजों का अंकुरण हो, लेकिन झारखंड और महाराष्ट्र के कई जिलों में ऐसी स्थिति आ गई है कि किसान (farmer) बुवाई नहीं कर पा रहे हैं. अगर रिस्क लेकर बुवाई कर देते हैं तो बीज खराब होने का डर है, जिससे दोबारा बुवाई का संकट खड़ा हो सकता है. जिससे खर्च बढ़ जाएगा. इस समय महाराष्ट्र में गन्ना, कॉटन, धान, तिलहन, मोटे अनाजों और दलहन फसलों की बुवाई का रकबा पिछले साल से कम हो गया है.
किस फसल की बुवाई कितनी कम हुई है, इस पर चर्चा करने से पहले यह देखते हैं कि बारिश कितनी कम हुई है. मौसम विभाग के अनुसार महाराष्ट्र में 1 जून से 17 जुलाई के बीच सामान्य से 19 फीसदी कम बारिश हुई है. इस अवधि के बीच 383 एमएम बारिश होनी चाहिए जबकि 311.1 एमएम ही हुई है. हालांकि मौसम विभाग बारिश की इतनी कमी को सामान्य ही मानता है. इसके बावजूद राज्य के कुछ जिले ऐसे हैं जहां पर बारिश की बहुत कमी है. जिससे खेती पर बुरा असर पड़ा है.
मौसम विभाग के अनुसार 1 जून से 17 जुलाई तक की बात करें तो हिंगोली जिले में किसानों को बारिश का सबसे ज्यादा इंतजार है. यहां सामान्य से 72 फीसदी कम बारिश हुई है. जबकि सांगली में सामान्य से 71 प्रतिशत कम बारिश हुई है. इन दोनों जिलों से तो जैसे मॉनसून रूठ ही गया है. सतारा में जिले के भी हालात बहुत अच्छे नहीं हैं. यहां सामान्य से 54 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. जालना जिले में भी बादल रूठे हुए हैं. यहां पर सामान्य से 53 फीसदी कम बारिश हुई है. सोलापुर में में सामान्य से 46 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है. कोल्हापुर में सामान्य से 35 फीसदी और बीड़ में 33 फीसदी कम बारिश हुई है. इसीलिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने बुवाई के जो आंकड़े जारी किए हैं, उसमें महाराष्ट्र अधिकांश फसलों में पिछले साल के मुकाबले बहुत पीछे खड़ा है.
ये भी पढ़ें- मॉनसून की बारिश के बाद महाराष्ट्र में खरीफ फसलों की बुवाई ने पकड़ा जोर
महाराष्ट्र के कई जिलों में चल रहे सूखे के संकट को लेकर राज्य के कृषि विभाग की केंद्र सरकार के अधिकारियों के साथ 4 जुलाई को बैठक हो चुकी है. लेकिन इसका किसानों तक कोई फायदा नहीं पहुंचा. कृषि मंत्रालय ने इस साल 14 जुलाई तक की बुवाई के आंकड़े जारी किए हैं. अगर पिछले साल की इसी अवधि के दौरान से तुलना करें तो राज्य में गन्ने की बुवाई 1.57 लाख हेक्टेयर में पिछड़ी हुई है. कपास की बुवाई 3.58 लाख हेक्टेयर पीछे है. जबकि यह दोनों राज्य की प्रमुख फसल है.
इसी तरह धान की खेती पिछले साल के मुकाबले 0.85 लाख हेक्टेयर में पिछड़ी हुई है. हालांकि, यहां पर धान का रकबा बहुत अधिक नहीं होता. दलहन की बुवाई इस बार 4.99 लाख हेक्टेयर पीछे है. मोटे अनाजों की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 5.19 लाख हेक्टेयर कम है. इसी तरह राज्य में तिलहन फसलों की बुवाई 6.92 लाख हेक्टेयर कम है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today