खुशबू के ल‍िए दुन‍ि‍याभर में जाना जाता है केवड़ा, इसकी खेती क‍िसानों को बना सकती है मालामाल

खुशबू के ल‍िए दुन‍ि‍याभर में जाना जाता है केवड़ा, इसकी खेती क‍िसानों को बना सकती है मालामाल

यदि आप अपने आस-पास इत्र और परफ्यूम से भी ज्यादा खुशबू चाहते हैं तो दुनिया के सबसे सुगंधित फूल में शुमार केवड़े के बारे में जान लें. केवड़े के फूल की भीनी-भीनी महक तन-मन को ठंडक का एहसास कराती है. तो वहीं इसकी खेती क‍िसानों को मालामाल भी बना सकती है.

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खुशबू के ल‍िए दुन‍ि‍याभर में जाना जाता है केवड़ा, इसकी खेती क‍िसानों को बना सकती है मालामालक्या आप जानते हैं दुनिया का सबसे खुशबूदार फूल कौन सा है, इसके तेल की कीमत बढ़ा देगी आपकी इनकम, साभार: freepik

यदि आप अपने आस-पास इत्र और परफ्यूम से भी ज्यादा खुशबू का मजा लेना चाहते हैं तो दुनिया के सबसे सुगंधित फूलों में शुमार केवड़े के बारे में जान लें. इसके फूल की भीनी-भीनी महक क‍िसी के भी तन-मन को ठंडक का एहसास करा सकती है. तो वहीं इसकी खेती क‍िसानों को मालामाल बना सकती है. असल में केवड़े को फूलों का राजा भी कहा जाता है. वैसे तो केवड़े की खेती बहुत ही कम जगहों पर की जाती है. लेकिन, इसके बावजूद भी इसकी डिमांड रहती है.इसके फूल से इत्र, परफ्यूम और ब्यूटी प्रोडक्ट बनाए जाते हैं. इसकी भीनी-भीनी खुशबू की वजह से ही यह दुनिया का सबसे खुशबूदार फूल है.
 

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 कहां कि जाती है केवड़े की खेती

वैसे तो केवड़े की खेती भारत में सबसे अधिक मात्रा में उड़ीसा में  की जाती है. लेक‍िन, यह फूल समुद्र किनारे वाले इलाकों और नदी, तालाबों और दूसरे पानी वाले इलाकों में आसानी से उगाया जा सकता है. लेकिन, देश के मैदानी इलाकों में भी अब किसान इसकी खेती की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, गुजरातऔर तमिलनाडु में भी इसकी खेती होती है. इसकी खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी और दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है.    
 

केवड़ा क्यों मशहूर है.

केवड़ा सिर्फ एक फूल नही हैं. बल्कि यह एक आयुर्वेदिक औषधि भी है. हरे भरे घने जंगलों में उगने वाले इस फूल को फूलों का राजा भी कहा जाता है. इस फूल से कैंसर जैसी बीमारियों से लेकर, यूरिन डिजीज, खून के रोग, त्वचा रोग, और पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए केवड़ा काफी फायदेमंद माना जाता है. इसकी मनमोहक खुशबू से मन और शरीर को ताजा पन महसूस होता है.
 

कम मेहनत में मिलता है अधिक मुनाफा

केवड़े के खेती के लिए किसानों को अधिक मेहनत नहीं करनी पड़ती है. लेकिन, इसके लिए कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं. ऐसा मानना है कि केवड़े के सुगंध के कारण उसके झाड़ों में सांपों का बसेरा हो जाता है. इसलिए इसके पौधे की निगरानी करनी पड़ती है. केवड़े के पतले, लंबे और कांटेदार पत्तों वाले पेड़ की दो प्रजातियां होती हैं. एक सफेद और दूसरा पीला. पीले को केवड़ा और सफेद को केतकी के नाम से जानते हैं. हाल ही में जारी एक रिपोर्ट से पता चला है कि केवड़े के राल की कीमत 4-5 लाख रुपए है. इसके तेलों और फूलों से किसान अपनी इनकम को बढ़ा सकते हैं.
 

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