धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के चावल (सामान्य और सुगंधित दोनों) का स्वाद और उसकी महक के देश से लेकर विदेशों तक काफी मशहूर है. यहां के चावल की डिमांड बहुत ज्यादा होती है. वहीं छत्तीसगढ़ में कई प्रमुख किस्में हैं जिनमें जवाफूल चावल का एक अपना अगल ही महत्व है. ये चावल अपने स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है. दरअसल जवाफूल चावल छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले का एक सुगंधित, पतला, छोटे दाने वाला चावल है. चावल की यह पारंपरिक किस्म आदिवासी किसानों द्वारा जंगल में साफ स्थानों पर उगाई जाती है.
जवाफूल का चावल पकने पर नरम होता है. इसमें हल्की सुगंध होती है. इसे रोजाना खाया जा सकता है. इस चावल की बिरयानी, पुलाव, खीर और किसी भी प्रकार की रेसिपी बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. जिस किसी ने भी जवाफुल चावल का स्वाद चखा है, उसे यह बहुत पसंद आता है.
बता दें कि दुनिया में अपनी खुशबू और स्वाद के लिए पहचाने जाने वाले बासमती चावल की भारी डिमांड है. अब जवाफूल चावल छत्तीसगढ़ से लेकर देशभर में पहचान बना रहा है. अच्छी क्वालिटी के कारण देश के कई कोनों में इसकी सप्लाई की जा रही है. दंतेवाड़ा जिले के किसान बासमती की खुशबू को टक्कर देने के लिए जवाफूल चावल अधिक मात्रा में पैदा कर रहे हैं.
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दुनिया में सुगंधित चावल की लगभग 1000 किस्में हैं, जिसमें से 150 सुगंधित चावल की किस्म की पैदावार भारत में होती है. इनमें से 16 किस्म का चावल छत्तीसगढ़ में पैदा होता है. वहीं छत्तीसगढ़ में जीराफूल, दुबराज, बादशाह, जवाफूल, तरुण भोग समेत धान की 16 प्रमुख सुगंधित किस्में हैं. छत्तीसगढ़ में धान की 23,450 प्रजातियां हैं, इसमें कई सुगंधित और दुर्लभ धान भी शामिल हैं.
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