भारतीय मसालों को लेकर बड़ी खबर. (सांकेतिक फोटो)सिंगापुर में अब भारतीय मासालों की जांच की जाएगी. जांच में शुद्धता पाए जाने के बाद ही मार्केट में इसकी बिक्री शुरू होगी. इसके लिए आयात निगरानी के तहत आने वाली सिंगापुर खाद्य एजेंसी ने बहुत ही बड़ा प्लान तैयार किया है. कहा जा रहा है कि खाद्य एजेंसी कई ब्रांडों के मसालों की खेप को एक महीने के लिए रोककर रखेगा, ताकि उसकी शुद्धता की जांच की जाए सके. हालांकि, केंद्र सरकार का कहना है कि सिंगापुर और हांगकांग ने भारतीय मसालों पर प्रतिबंध नहीं लगाया है. बस वह शुद्धता की जांच कर रहा है.
दरअसल, शुक्रवार को राज्यसभा में भारतीय मसालों पर विदेशी प्रतिबंधों के बारे में पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि भारत से निर्यात किए जाने वाले कुछ मसाला मिश्रणों के विशिष्ट बैचों को हांगकांग और सिंगापुर में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने एथिलीन ऑक्साइड (ईटीओ) की स्वीकार्य सीमा से अधिक मौजूदगी के कारण वापस बुला लिया है. उन्होंने कहा कि आयात निगरानी के तहत सिंगापुर खाद्य एजेंसी ने कई ब्रांडों से आने वाले मसालों की खेप को एक महीने के लिए रोककर जांचने की व्यवस्था में रखा है. उन्होंने दोहराया कि सिंगापुर और हांगकांग ने भारतीय मसालों पर प्रतिबंध नहीं लगाया है.
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उन्होंने कहा कि मसाला बोर्ड ने भारत से निर्यात किए जाने वाले मसालों की अनिवार्य शिपमेंट-पूर्व जांच, सभी चरणों में संभावित ईटीओ संदूषण को रोकने के लिए निर्यातकों द्वारा पालन किए जाने वाले व्यापक दिशा-निर्देश जारी करने सहित कई कदम उठाए हैं. इसमें कच्चे माल की खरीद, प्रसंस्करण, पैकिंग, भंडारण, परिवहन आदि शामिल है, ताकि आयात करने वाले देश की अलग-अलग ईटीओ सीमाओं को पूरा किया जा सके. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मसालों सहित सभी खाद्य वस्तुओं, चाहे वे घरेलू रूप से निर्मित/प्रसंस्कृत हों या भारत में घरेलू बाजारों में खपत के लिए आयातित हों, उन्हें खाद्य सुरक्षा और मानक विनियमों के तहत निर्धारित मानकों का पालन करना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि विनियम गुणवत्ता और सुरक्षा मापदंडों के लिए प्रावधान करते हैं जिनका प्रत्येक खाद्य उत्पाद को पालन करना होता है.
देश में खाद्यान्न उत्पादन और खपत के आकलन पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कहा कि नीति आयोग द्वारा 2024 में प्रकाशित ‘फसल पालन, कृषि इनपुट, मांग और आपूर्ति पर कार्य समूह की रिपोर्ट’ में अखिल भारतीय स्तर पर सामान्य व्यवसाय परिदृश्य के तहत विभिन्न वस्तुओं की मांग और आपूर्ति का अनुमान लगाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, 2025-26 तक खाद्यान्न और अनाज की मांग क्रमशः 303 मिलियन टन (एमटी) और 272 एमटी होने का अनुमान है, जबकि आपूर्ति अनुमान क्रमशः 332 एमटी और 305 एमटी है.
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हालांकि, इसी अवधि के दौरान दालों और सब्जियों की मांग की तुलना में आपूर्ति कम रहने का अनुमान है. रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2025-26 तक दालों और सब्जियों की मांग क्रमशः 31 मीट्रिक टन और 238 मीट्रिक टन होगी, जबकि आपूर्ति अनुमान क्रमशः 27 मीट्रिक टन और 224 मीट्रिक टन है. वहीं, सरकार की एफपीओ योजना के तहत देश में पंजीकृत किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की संख्या पर एक अलग सवाल के जवाब में, ठाकुर ने कहा कि 30 जून 2024 तक देश भर में 8,875 एफपीओ पंजीकृत किए गए हैं.
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