भारत ने पीली मटर के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट की समय सीमा को दो महीने के लिए और बढ़ा दिया है और अब यह समय सीमा दिसंबर 2024 तक लागू रहेगी. पीली मटर पर ड्यूटी पहली बार नवंबर 2017 में लागू की गई थी और उस समय इसे 50 प्रतिशत तय किया गया था. भारत मुख्य तौर पर कनाडा और रूस से पीली मटर का आयात करता है. हालांकि, सभी आयातों को ऑनलाइन इंपोर्ट मॉनिटरिंग सिस्टम के तहत रजिस्ट्रेशन होना चाहिए. यह पंजीकरण उन शिपमेंट पर लागू होता है, जहां 31 दिसंबर, 2024 को या उससे पहले बिल ऑफ लैडिंग जारी किया गया है.
विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना में कहा है पीले मटर का आयात MIP शर्त के बिना और बंदरगाह प्रतिबंध के बिना 'मुफ्त' है, जो ऑनलाइन इंपोर्ट मॉनिटरिंग सिस्टम के तहत रजिस्ट्रेशन के अधीन है. सभी आयात खेपों के लिए तत्काल प्रभाव से जहां बिल ऑफ लैडिंग (शिप ऑन बोर्ड) 31 दिसंबर 2024 को या उससे पहले जारी किया गया है. केंद्र सरकार की तरफ से दिसंबर 2023 की शुरुआत में एक फैसले के तहत मार्च 2024 तक पीली मटर के ड्यूटी-फ्री इंपोर्ट की मंजूरी दी थी. इसे बाद में अप्रैल, फिर जून और बाद में अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया था.
सरकार की यह फैसला दाल की कीमतों को नियंत्रित रखने के कदम के तहत था. भारत दालों का एक बड़ा उपभोक्ता और उत्पादक है. लेकिन फिर भी अपनी खपत की जरूरतों का एक हिस्सा आयात के जरिये से पूरा करता है. भारत मुख्य तौर पर चना, मसूर, उड़द, काबुली चना और अरहर दालों का उपभोग करता है. साल 2023-24 में दालों का आयात करीब दोगुना होकर 3.74 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया था.
दालों के अलावा सरकार ने गेहूं के दाम को कम करने और इसकी जमाखोरी व सट्टेबाजी को रोकने के लिए गेहूं पर नई स्टॉक लिमिट लगा दी है. यह सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगी. सरकार गेहूं की कीमतों पर कड़ी नजर रख रही है, ताकि इसका दाम न बढ़े. दरअसल मांग से अधिक उत्पादन होने के बावजूद गेहूं का दाम बढ़ रहा है, जिससे सरकार चिंतित है. अब उसने जमाखोरी रोकने के लिए स्टॉक लिमिट को संशोधित कर दिया है. रबी 2024 के दौरान कुल 1129 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन दर्ज किया गया, जबकि मांग लगभग 1001 लाख टन की ही है.
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